पंजाब सरकार ने ग्रामीण सड़कों पर किसानों की सुरक्षा के लिए एक नया कदम उठाया है। इस अभियान का नाम “हौली चलो” है, जिसका अर्थ है धीरे और सुरक्षित वाहन चलाएँ। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसानों और ग्रामीणों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। विशेष पुलिस महानिदेशक एएस राय ने भागो माजरा टोल प्लाजा पर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर रिफ्लेक्टर स्टिकर लगाकर इस अभियान की शुरुआत की। यह कदम दर्शाता है कि सरकार जीवन बचाने के प्रति कितनी गंभीर है। यह केवल यातायात के बारे में ही नहीं, बल्कि कृषक समुदाय के सम्मान के बारे में भी है। ये स्टिकर अन्य वाहनों को ट्रैक्टरों को स्पष्ट रूप से देखने में मदद करेंगे। यह किसान-हितैषी और सुरक्षा-केंद्रित निर्णय है।
रिफ्लेक्टर सड़क दृश्यता में बदलाव लाते हैं
अभियान के पहले चरण में लगभग 30,000 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर रिफ्लेक्टर लगाए जाएँगे। पंजाब में लगभग 4,100 किलोमीटर लंबा सड़क नेटवर्क है जहाँ किसान अक्सर रात या कोहरे के दौरान यात्रा करते हैं। यह परियोजना यारा इंडिया द्वारा समर्थित है और राज्य सुरक्षा बल (एसएसएफ) द्वारा संचालित की जाती है। रिफ्लेक्टर पर रोशनी पड़ने पर वे चमकेंगे, जिससे ट्रैक्टर दूर से भी दिखाई देंगे। पहले कई दुर्घटनाएँ इसलिए होती थीं क्योंकि अंधेरे में ट्रैक्टर दिखाई नहीं देते थे। इस योजना से दुर्घटनाओं में सीधे तौर पर कमी आएगी और जानें बचेंगी। यह ग्रामीण पंजाब में सबसे बड़े सड़क सुरक्षा अभियानों में से एक है।
दुर्घटनाओं ने चिंताजनक चिंताएँ बढ़ाईं
2017 से 2022 तक, पंजाब में 2,048 ट्रैक्टर-ट्रॉली दुर्घटनाएँ हुईं। इनमें से 1,569 लोगों की जान चली गई, और उनमें से ज़्यादातर किसान थे। इन आँकड़ों ने राज्य को हिलाकर रख दिया और कार्रवाई की माँग पैदा कर दी। मुख्यमंत्री मान की सरकार ने इन आँकड़ों को खतरे की घंटी माना। अनदेखी करने के बजाय, सरकार ने नीतिगत बदलावों और जागरूकता अभियानों के ज़रिए जवाब देने का फैसला किया। “हौली चलो” योजना इसी प्रतिक्रिया का एक हिस्सा है। कृषि जीवन को सुरक्षा से जोड़कर, सरकार ने किसानों के प्रति अपनी चिंता दिखाई है। इस कदम से किसानों को यह विश्वास भी मिला है कि उनका जीवन उनके काम जितना ही महत्वपूर्ण है।
सुरक्षा को जन आंदोलन में बदलना
विशेष पुलिस महानिदेशक एएस राय ने कहा कि यह अभियान सिर्फ़ स्टिकर लगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि एक जन आंदोलन है। ग्रामीण इलाकों में बिना लाइट या रिफ्लेक्टर वाले ट्रैक्टर अक्सर रात में जानलेवा हादसों का कारण बनते हैं। इन स्टिकरों से दूसरे चालक कम रोशनी में भी ट्रैक्टरों को आसानी से पहचान सकेंगे। इससे दुर्घटनाओं में कमी आएगी और लोगों में जागरूकता भी बढ़ेगी। यह अभियान सिखाता है कि सुरक्षा एक बार का नियम नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी है। “हौली चलो” धीमी और सुरक्षित ड्राइविंग का नारा भी बन रहा है। उम्मीद है कि इससे सड़कों पर अनुशासन की संस्कृति विकसित होगी। किसान इस अभियान का अहम हिस्सा हैं।
दुर्घटनाओं में मौतों में पहले से ही कमी देखी जा रही है
पंजाब पुलिस की रिपोर्ट कहती है कि 2024 तक दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में पहले से ही कमी आ चुकी है। खासकर दुर्घटनाओं के 24 घंटों के भीतर होने वाली मौतों में कमी आई है। यह कोई संयोग नहीं, बल्कि बेहतर यातायात प्रबंधन, सड़क इंजीनियरिंग और जागरूकता का असर है। सरकार ने जन-शिक्षा के साथ-साथ नियमों के सख्त पालन पर भी ध्यान केंद्रित किया है। इससे पता चलता है कि सुरक्षा का मतलब डर नहीं, बल्कि जागरूकता है। दुर्घटनाओं की संख्या में गिरावट ने सरकारी नीतियों में विश्वास पैदा किया है। इससे यह भी संदेश जाता है कि सुधार कारगर हो रहे हैं। किसान अब सुरक्षित यात्रा को लेकर ज़्यादा आशान्वित हैं।
एक साथ मिलकर मजबूती से होता है काम
पंजाब भर में सभी एसएसएफ इकाइयाँ मिलकर इस अभियान को आगे बढ़ा रही हैं। यह एकजुट प्रयास अभियान को और मज़बूत और प्रभावी बनाता है। इसकी शुरुआत कटाई के मौसम में करने की योजना है, जो किसानों के लिए सबसे व्यस्त समय होता है। सुबह और शाम कोहरे के दौरान ट्रैक्टरों की दृश्यता सबसे कम होती है। इसलिए यह समय अभियान के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। किसानों को अब लग रहा है कि उनकी देखभाल की जा रही है। रिफ्लेक्टर सस्ते हैं, लेकिन कई लोगों की जान बचा सकते हैं। यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक सभी ट्रैक्टर कवर नहीं हो जाते। यह पंजाब का सबसे बड़ा किसान-सुरक्षा अभियान है।
किसान सम्मान के साथ सुरक्षा संस्कृति
मान सरकार ने इस अभियान को किसान सम्मान से जोड़ा है। ट्रैक्टरों पर लगे रिफ्लेक्टर सुरक्षा से कहीं बढ़कर हैं, ये कृषि जीवन शैली के प्रति सम्मान दर्शाते हैं। पंजाब सिर्फ़ फसलों के लिए ही नहीं, बल्कि मज़बूत किसानों के लिए भी जाना जाता है। अब पंजाब सुरक्षित किसानों के लिए भी जाना जाएगा। खेतों से लेकर मंडियों तक का सफ़र ज़्यादा सुरक्षित और तनावमुक्त होगा। संदेश साफ़ है: धीमी गति से गाड़ी चलाएँ, सुरक्षित जीवन, ज़्यादा सम्मान। “हौली चलो” सिर्फ़ एक नारा नहीं, बल्कि एक नई संस्कृति है। जनता और सरकार मिलकर सुरक्षा की एक नई कहानी लिख रहे हैं। पंजाब एक सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ रहा है।












