दिल्ली में यमुना का कहर: खतरे के निशान से ऊपर, सतर्क हुई राजधानी

0
18
Delhi Yamuna
Delhi Yamuna

सोमवार को दो में पहली बार यमुना नदी का जलस्तर 205.33 मीटर के खतरे के निशान को पार कर गया है. जिससे दिल्ली में तनाव बढ़ गया और मुख्यमंत्री को बाढ़ की तैयारियों का जमीनी जायजा लेना पड़ा. अधिकारियों ने कहा कि नदी का जलस्तर 206 मीटर पार करते ही निचले इलाकों में रहने वाले परिवारों को निकाला जाएगा. सोमवार शाम तक यमुना का जलस्तर 205.63 मीटर तक पहुंच गया था, और केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने अनुमान लगाया कि मंगलवार सुबह 2 बजे तक यह बढ़कर 206 मीटर के पार जा सकता है. अधिकारियों के अनुसार, रविवार से सोमवार की सुबह के बीच हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण जलस्तर में अचानक तेज वृद्धि हुई.

पानी के बढ़ने का असर 
सबसे पहले इसका शुरुआती असर 27 वर्षीय रसीना खातून पर पड़ा, जो अपने पति और तीन बच्चों के साथ सोनिया विहार में एक अस्थायी तंबू में रहती हैं. सोमवार शाम तक पानी उनके तंबू में घुसने लगा था. उनके बर्तन और कपड़े प्लास्टिक में लपेटकर एक चारपाई पर रखे गए थे ताकि उन्हें तुरंत हटाया जा सके. उन्होंने कहा कि आज सुबह 3 बजे, घर में पानी घुसने की आवाज सुनकर हमारी नींद खुली और हम कुछ सामान तो बचा पाए, लेकिन हमारी ज्यादातर सब्जियां और दूसरी चीजें बर्बाद हो गईं. हर साल यही कहानी होती है. उनका परिवार और यमुना किनारे बसे कई अन्य लोग उपजाऊ जमीन पर सब्जियां उगाते और पशुपालन करते हैं. खातून जानती हैं कि जलस्तर बढ़ने पर उन्हें जल्द ही ऊंची जमीन की ओर पलायन करना होगा जब तक कि नदी शांत न हो जाए.

जलस्तर में तेजी और दिन भर का रिकॉर्ड
सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों के मुताबिक सोमवार सुबह 5 बजे नदी 204.7 मीटर पर बह रही थी और दिन भर यह तेजी से बढ़ती रही. सुबह 10 बजे यह 205 मीटर को पार कर गई, दोपहर 2 बजे खतरे के निशान को पार कर गई और देर शाम तक भी बढ़ती रही. अधिकारियों ने बताया कि रविवार दोपहर 1 बजे से सोमवार सुबह 1 बजे के बीच लगभग 12 घंटे तक लगातार 1,00,000 क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया.

प्रशासन की तैयारी और चेतावनियां
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण (I&FC) विभाग ने राहत और बचाव के उपाय तेज कर दिए हैं . उनकी 40 में से 34 नावें तैनात कर दी गई हैं. नदी किनारों पर लाउडस्पीकर और माइक्रोफोन के माध्यम से आवासियों को निकासी के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया जा रहा था. I&FC के एक अधिकारी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि रात लगभग 2 बजे तक नदी का जलस्तर 206 मीटर तक पहुंच जाएगा. इसलिए सुबह 2 से 4 बजे के बीच लोगों को बाहर किया जा सकता है.

यमुना किनारे रहने वालों का जीवन
यमुना किनारे बसे परिवारों जो बाजार में रिक्शा चालक और दिहाड़ी मजदूर तिरपाल के आश्रयों में रहते हैं और अधिकारियों ने पहले ही उन्हें चेतावनी दे दी थी. नाश्ते की दुकान चलाने वाले संजय शर्मा ने कहा कि उन्होंने हमें अपना सामान सुरक्षित रखने और तुरंत निकलने के लिए तैयार रहने को कहा. हमारे लिए यह कोई नई बात नहीं है. हम पिछले कुछ सालों में कई बार घर खाली कर चुके हैं.

65 वर्षीय रिक्शा चालक राम सचिन ने बताया कि हमारे पास ज्यादा कुछ नहीं है. एक चारपाई, एक कंबल, कुछ कपड़े बस. इसलिए जब नदी का जलस्तर बढ़ता है, तो हम तुरंत अपना सामान समेट लेते हैं.  वहीं 28 वर्षीय अखिलेश सदा ने कहा कि नदी के किनारे हमारा खेत पहले ही डूब चुका है. अगर पानी और बढ़ा, तो हमें अपने गांव वापस लौटना पड़ सकता है.

2023 की यादें और आंकड़े
स्थानीय लोग और अधिकारी दोनों ही 2023 की विनाशकारी बाढ़ की याद कर रहे हैं, जब हथिनीकुंड से रिकॉर्ड 3,59,760 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद यमुना ने 208.66 मीटर तक पानी का स्तर छू लिया था. उस बार बाढ़ के मैदानों से दूर इलाकों में पानी भरने के कारण 23,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था और कई जलशोधन संयंत्रों को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा था. इसके विपरीत पिछले वर्ष का शिखर केवल 204.38 मीटर था. जो चेतावनी स्तर से नीचे था. 

निवासियों की आशा और भय
अधिकारियों के अनुसार बाढ़ एक पूर्वानुमानित, फिर भी खतरनाक, वार्षिक घटना बनती जा रही है. वहीं प्रभावित परिवारों के लिए यह विस्थापन, हानि और लौटने का दर्दनाक चक्र है. रसीना खातून ने अपना घर छोड़ने की तैयारी करते हुए कहा, हम जानते हैं कि हमें हर साल घर बदलना पड़ता है, फिर भी हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. हमारा जीवन इस नदी पर निर्भर है, लेकिन यह हमसे सब कुछ छीन भी लेती है. हम बस यही उम्मीद करते हैं कि इस बार नुकसान ज्यादा न हो.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here