केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय उद्योग जगत की मानसिकता पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जब सरकार विदेशी कंपनियों को सीमित मात्रा में भारतीय बाजार में प्रवेश देने की कोशिश करती है, तो घरेलू उद्योग तुरंत विरोध जताता है, जो कि निराशाजनक है. उनका मानना है कि यह मानसिकता वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को कमजोर करती है.
क्या सिर्फ विदेशी बाजार ही चाहिए?
एक उद्योग सम्मेलन में बोलते हुए गोयल ने तीखे लहजे में सवाल उठाया कि जब हम थोड़ी मात्रा में विदेशी उत्पादों को कोटा देते हैं, तो शोर मचाया जाता है. लेकिन आप चाहते हैं कि अन्य देश अपने बाजार भारतीय सामान के लिए खोल दें. यह दोहरा मापदंड कब तक चलेगा? उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर भारत को वैश्विक बाज़ारों में प्रतिस्पर्धा करनी है तो भारतीय कंपनियों को भी पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहना होगा.
राष्ट्रवाद की मिसाल
गोयल ने जापान और दक्षिण कोरिया का उदाहरण देते हुए बताया कि इन देशों ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) किए हुए हैं, लेकिन उनकी घरेलू कंपनियां अब भी स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को प्राथमिकता देती हैं. उन्होंने कहा कि भारत में मैं यही चाहता हूं, लेकिन यहां देश की कंपनियां अक्सर विदेशी विकल्पों की ओर झुक जाती हैं.
भारत की FTA रणनीति
गोयल ने जानकारी दी कि भारत ने बीते वर्षों में ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के साथ मुक्त व्यापार समझौते किए हैं. इसके अलावा ब्रिटेन के साथ भी व्यापार समझौता किया गया है. इन समझौतों का उद्देश्य भारत को वैश्विक व्यापार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है.
अमेरिका और अन्य देशों से सक्रिय बातचीत
भारत इस समय अमेरिका, यूरोपीय संघ, ओमान, चिली, पेरू और न्यूजीलैंड के साथ भी मुक्त व्यापार समझौतों पर गहन चर्चा कर रहा है. गोयल ने कहा कि यह साफ संकेत है कि दुनिया भारत को व्यापार और निवेश के लिए एक भरोसेमंद और आकर्षक गंतव्य मानती है.
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर प्रगति
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को लेकर बातचीत चल रही है. भारतीय प्रतिनिधिमंडल इस समय वाशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर रहा है, जो 17 अक्टूबर तक चलेगा. दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व ने वर्ष 2025 तक इस समझौते के पहले चरण को पूरा करने का लक्ष्य तय किया है.
अमेरिकी नीतियों पर भारत की असहमति
हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50% शुल्क और रूसी तेल पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आया है. भारत ने इन नीतियों को अनुचित करार देते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज की है.
H-1B वीजा को लेकर चिंता बनी हुई
भारतीय उद्योग जगत ने अमेरिका की H-1B वीजा नीति को लेकर भी चिंता जताई है, जो भारतीय पेशेवरों को प्रभावित कर सकती है. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई सकारात्मक बातचीत के बाद इन मुद्दों पर समाधान की उम्मीद की जा रही है.
















