BLOS की सुरक्षा सख्त करें… SIR में खलल पड़ा तो कड़ी कार्रवाई होगी, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिया अंतिम चेतावनी

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Supreme Court,
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी राज्यों को निर्देश दिया कि विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) कार्य में लगे बूथ स्तर के अधिकारियों को पूरी सुरक्षा दी जाए. अदालत ने स्पष्ट किया कि BLOS को धमकाने या उनके काम में बाधा डालने के किसी भी उदाहरण को गंभीरता से लिया जाएगा. यह आदेश NGO सनातनी संसद द्वारा पश्चिम बंगाल में BLOS पर की जा रही धमकियों की शिकायत के बाद आया.

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने मामले को राष्ट्रीय स्तर का बताते हुए कहा कि यह सिर्फ पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी राज्यों के लिए लागू है. कोर्ट ने चुनाव आयोग (EC) को सुझाव दिया कि अगर राज्य स्तर पर BLOS की सुरक्षा में कोई समस्या आती है तो वह सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करें.

BLOS की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़ा रुख

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम BLOS की सुरक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई करेंगे. उनकी सुरक्षा सुनिश्चित न की गई तो अराजकता होगी. अदालत ने केंद्र और चुनाव आयोग से स्थिति का आकलन कर रिपोर्ट देने को कहा और जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का निर्देश दिया.

BLOS के कार्यभार और तनाव पर भी अदालत ने चर्चा की. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी के बयान का हवाला देते हुए जिसमें उन्होंने BLOS की मौत का जिक्र किया था, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तनावग्रस्त या स्वास्थ्य समस्याओं वाले BLOS को SIR कार्य से हटाया जा सकता है और उनके स्थान पर प्रतिस्थापन उपलब्ध कराया जाना चाहिए.

SIR कार्य और BLOS पर बढ़ते दबाव

चुनाव आयोग ने बताया कि प्रत्येक BLOS को 37 दिनों में अधिकतम 1,200 मतदाताओं की गणना करनी होती है, यानी लगभग 35 मतदाता प्रति दिन. जस्टिस बागची ने कहा कि यह कोई डेस्क जॉब नहीं है. BLOS को घर-घर जाकर गणना प्रपत्र सत्यापित करना होता है और फिर उसे अपलोड करना होता है. इसमें मानसिक और शारीरिक थकान हो सकती है. हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि SIR कार्य बिना किसी रुकावट के पूरा हो.

पश्चिम बंगाल में धमकी के आरोप और सबूतों की कमी

जस्टिस बागची ने पश्चिम बंगाल में BLOS पर धमकी के आरोपों की पुष्टि के लिए प्रस्तुत सामग्री पर सवाल उठाया. उन्होंने पूछा कि एक FIR के अलावा कोई विश्वसनीय सबूत नहीं है. क्या केवल एक घटना के आधार पर कहा जा सकता है कि यह समस्या केवल पश्चिम बंगाल में हो रही है? क्या यह पक्षपातपूर्ण नहीं है?

राज्य सरकारों का विरोध और राष्ट्रीय विवाद

EC के वकील ने बताया कि पश्चिम बंगाल के अलावा तमिलनाडु और केरल में भी समस्याएं सामने आ रही हैं. कई राज्य सरकारों ने SIR कार्य के प्रति विरोध व्यक्त किया है. यह मामला दर्शाता है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण केवल प्रशासनिक कार्य नहीं, बल्कि राजनीतिक और कानूनी विवाद का भी विषय बन गया है.

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