Supreme Court on Maharashtra Assembly Elections: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया है जिसमें विक्रोली के मतदाता चेतन अहिरे द्वारा दायर महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई थी. अहिरे की याचिका में 2024 के चुनाव के दौरान प्रक्रियागत अनियमितताओं और आधिकारिक मतदान समय सीमा के बाद फर्जी वोट डालने का आरोप लगाया गया था. अदालत मे जज ने याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखा. बॉम्बे हाईकोर्ट ने पहले ही याचिका को कानूनी प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग करार दिया था और अहिरे के 288 निर्वाचन क्षेत्रों में पूरी चुनाव प्रक्रिया को चुनौती देने के अधिकार पर संदेह जताया था.
याचिका में लगाए गए प्रमुख आरोप
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि निर्वाचन प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई और भारतीय चुनाव आयोग (ECI) की उचित निगरानी के बिना शाम 6 बजे के बाद 76 लाख से ज्यादा वोट डाले गए. अहिरे के वकील ने इस आंकड़े की प्रमाणिकता और विवरण की कमी पर सवाल उठाया था और कहा था कि चुनावी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ऐसे आंकड़ों का होना अनिवार्य है.
बॉम्बे हाईकोर्ट का तर्क और खारिजी निर्णय
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने याचिका को तीसरे पक्ष की जानकारी पर आधारित बताया और कहा कि याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत वैध चुनाव याचिका का अभाव है. उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को कोई कानूनी नुकसान नहीं पहुंचा है. इसी आधार पर याचिका को खारिज कर दिया गया था.
सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई और जज का रुख
सर्वोच्च न्यायालय की जज न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति नोंग्मीकापम कोटिश्वर सिंह ने याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया और मामले में हस्तक्षेप न करने का निर्णय सुनाया. सुनवाई के बाद दिल्ली में अहिरे के वकील और वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने इस फैसले पर निराशा जाहिर की.
प्रकाश अंबेडकर की प्रतिक्रिया
सुनवाई के बाद प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई तक नहीं की. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सवाल यह था कि चेतन अहिरे कौन हैं. हमने कहा कि वह देश के नागरिक और मतदाता हैं. लेकिन दुर्भाग्य से अदालत ने उनकी बात नहीं सुनी. अगर यही चलन रहा कि एक नागरिक और एक मतदाता याचिका या अपील दायर नहीं कर सकते, तो आने वाले दिनों में कोई भी याचिका दायर नहीं करेगा.
मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों की टिप्पणियां इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि चुनावी विवादों में याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र और प्रमाणिकता कितनी निर्णायक भूमिका निभाती है.