Ladakh Violence: लद्दाख में Gen Z क्यों कर रहे प्रोटेस्ट?

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Ladakh Violence: लद्दाख की राजधानी लेह बुधवार को हिंसा की आग में झुलस उठी.  शांतिपूर्ण आंदोलन से शुरू हुई यह लड़ाई अचानक भड़क उठी और प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और एक सीआरपीएफ वैन को आग के हवाले कर दिया.  इस दौरान हुई झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और करीब 60 लोग घायल हुए.  हालात बेकाबू होते देख प्रशासन ने शहर में कर्फ्यू लागू कर दिया. 

दरअसल, पिछले कई हफ्तों से लद्दाख में लोग भूख हड़ताल पर बैठे थे.  उनकी मांग थी कि लद्दाख को राज्य का दर्जा मिले और उसे संविधान की छठी अनुसूची (Sixth Schedule) में शामिल किया जाए.  हालांकि बुधवार को हालात बिगड़ते ही प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और हिंसक हो गए. 

लद्दाख में लोग क्यों कर रहे प्रोटेस्ट?

लद्दाख को 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, लेकिन यहां विधानसभा का गठन नहीं हुआ.  सीधे केंद्र के अधीन रहने से स्थानीय लोगों में असंतोष गहराता गया.  लोगों का कहना है कि उनकी पहचान, जनजातीय संस्कृति और नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में है.  इसी को लेकर जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में 10 सितंबर से भूख हड़ताल जारी थी. 

लेह में क्यों भड़की हिंसा?

लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन ने बुधवार को लेह में हिंसक रूप ले लिया.  

कार्यकर्ता वांगचुक ने मंगलवार को अपने समर्थकों से हिंसा से बचने की अपील करते हुए अपना 15 दिन का अनशन समाप्त कर दिया.  हालांकि केंद्र के साथ बैठक 6 अक्टूबर के लिए निर्धारित थी, लेकिन प्रदर्शनकारी माँग कर रहे थे कि अनशन पर बैठे लोगों की बिगड़ती सेहत को देखते हुए तारीख आगे बढ़ा दी जाए. 

बुधवार को एनडीएस मेमोरियल ग्राउंड में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हुए और राज्य का दर्जा तथा छठी अनुसूची में दर्जे के समर्थन में नारे लगाते हुए शहर में मार्च किया.  सैकड़ों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए.  तनाव तब बढ़ गया जब कुछ लोगों ने भाजपा कार्यालय और हिल काउंसिल पर पथराव शुरू कर दिया.   लद्दाख की राजधानी में पूर्ण बंद के बीच भाजपा कार्यालय के साथ-साथ कई वाहनों को आग लगा दी गई.  उन्होंने भाजपा कार्यालय परिसर में फर्नीचर और कागजात में आग लगा दी. 

सुरक्षा बलों ने छोड़े आंसू गैस के गोले

हिंसा को देखते हुए पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया.  भारी संख्या में तैनात पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने अशांति पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े.  घटनास्थल पर अतिरिक्त बल भेजा गया और कई घंटों की झड़प के बाद अधिकारी स्थिति को नियंत्रण में लाने में सफल रहे, हालांकि शहर में तनाव बना रहा.  हिंसा के बाद, अधिकारियों ने बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी, जिसके तहत पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. 

सोनम वांगचुक की अपील

प्रदर्शन के बीच सोनम वांगचुक ने वीडियो संदेश जारी कर कहा, “यह इस युवा पीढ़ी का आक्रोश था जिसने उन्हें सड़कों पर ला दिया.  वे पिछले पांच वर्षों से बेरोजगार हैं. बार-बार एक बहाने या दूसरे बहाने से नौकरी से निकाले गए हैं और लद्दाख की मांगें पूरी नहीं हुई हैं.  मैं कहूंगा कि यह सामाजिक अशांति का एक नुस्खा है.  कुछ लोग सोचते हैं कि वे केवल हमारे समर्थक थे, लेकिन वास्तव में, पूरा लद्दाख हमारे साथ और इस मुद्दे के साथ खड़ा है.  यह जेन जेड क्रांति थी. “

सोनम वांगचुक ने कहा, “मैं युवा पीढ़ी से अपील करता हूं  वे हिंसा का सहारा न लें,यह हमारे पांच साल के प्रयासों पर पानी फेर देगा.  यह हमारा तरीका नहीं है.  हम शांतिपूर्ण तरीके से सरकार के सामने अपनी मांगें रखने की कोशिश कर रहे हैं और मैं चाहता हूं कि वे हमारा शांति का संदेश सुनें.”

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