बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस नेतृत्व वाली राज्य सरकार के उस फैसले को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें नए बिजली उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगाना अनिवार्य किया गया है. जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मामले से संबंधित एक अन्य याचिका हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के समक्ष लंबित है, इसलिए इन याचिकाओं को खारिज किया जाता है.
राज्य सरकार ने नए बिजली उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट प्री-पेड मीटर स्थापित करने का नियम बनाया है, जिसका उद्देश्य बिजली की खपत को पारदर्शी और नियंत्रित करना है. ये मीटर उपभोक्ताओं को पहले से राशि जमा करने की सुविधा देते हैं, जिसके आधार पर बिजली का उपयोग होता है. हालांकि याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इन मीटरों की लागत पड़ोसी राज्यों की तुलना में काफी अधिक है, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है.
याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि यह नीति उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ है और इसे लागू करने में पारदर्शिता की कमी है. दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि स्मार्ट प्री-पेड मीटर बिजली चोरी को रोकने और बिजली वितरण को अधिक कुशल बनाने में मदद करेंगे. इन मीटरों से उपभोक्ता अपनी खपत पर नजर रख सकते हैं और बिजली बिलों को नियंत्रित कर सकते हैं.
हाई कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि जब तक डिवीजन बेंच में लंबित याचिका पर कोई फैसला नहीं आता, तब तक इस मुद्दे पर नई सुनवाई नहीं की जाएगी. इस फैसले से नए बिजली उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगाने की अनिवार्यता बरकरार रहेगी. यह फैसला बेंगलुरु और कर्नाटक के अन्य हिस्सों में नए बिजली कनेक्शन लेने वालों के लिए महत्वपूर्ण है. उपभोक्ताओं को अब इन मीटरों की लागत और उपयोगिता के बारे में जागरूक होने की जरूरत है.