
ऑफिस जाने की बात आते ही लो एनर्जी, चिड़चिड़ापन और काम से दूरी, ये लक्षण आज की Gen Z में तेजी से देखे जा रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस पीढ़ी में काम को लेकर मानसिक थकान इतनी बढ़ रही है कि इसे अब ‘Gen Z बर्नआउट’ कहा जाने लगा है. सवाल यह है कि आखिर क्यों नौकरी की शुरुआत में ही युवा खुद को थका हुआ महसूस करने लगते हैं?
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल आलस या काम से बचने की आदत नहीं, बल्कि बदलते वर्क कल्चर, अपेक्षाओं और संसाधनों के बीच बढ़ते अंतर का नतीजा है. आइए समझते हैं कि Gen Z बर्नआउट क्या है, कैसे पैदा होता है और इसके संकेत क्या हैं.
Gen Z में क्यों बढ़ रही बर्नआउट की समस्या?
Gen Z को ट्रेंडी, फ्लेक्सिबल और क्रिएटिव काम पसंद है. यही वजह है कि वे पारंपरिक 9 से 5 की नौकरी से दूरी बनाना चाहते हैं. लेकिन जब यही पीढ़ी पारंपरिक ऑफिस सेटअप में ढलने की कोशिश करती है, तो उन पर दबाव बढ़ जाता है. नतीजा काम शुरू होने से पहले ही मानसिक थकावट.
क्या होता है बर्नआउट?
बर्नआउट एक ऐसी स्थिति है, जिसमें कर्मचारी की उम्मीदें और वर्कप्लेस की वास्तविक मांगें मेल नहीं खातीं. यह लगातार बनी रहने वाली मानसिक और शारीरिक थकान है, जो फोकस, मोटिवेशन और परफॉर्मेंस—तीनों को प्रभावित करती है.
बर्नआउट के पीछे की प्रमुख वजहें
1. काम की अस्पष्टता (Ambiguity), जिम्मेदारियां साफ न होना
2.अत्यधिक वर्कलोड, कम समय में ज्यादा आउटपुट की अपेक्षा
3. कौशल और संसाधनों की कमी, ट्रेनिंग या सपोर्ट का अभाव
4. अनुभव की कमी, नए कर्मचारियों पर जल्दबाज़ी में बड़ी जिम्मेदारियां
Gen Z क्यों ज्यादा संवेदनशील?
शोध बताते हैं कि Gen Z, महिलाएं और कम अनुभव वाले कर्मचारी बर्नआउट के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं. जब वर्कप्लेस की हकीकत कर्मचारियों की जरूरतों से मेल नहीं खाती, तो समस्या व्यक्तिगत न रहकर सिस्टम-लेवल की बन जाती है.
बर्नआउट के तीन पड़ाव
1. थकान: लगातार ऊर्जा की कमी
2. उदासीनता (Cynicism): काम से दूरी और अलगाव
3. आत्मविश्वास में गिरावट: अपनी क्षमताओं पर संदेह, परफॉर्मेंस शून्य
कोविड के बाद Gen Z पर असर
Gen Z का बड़ा हिस्सा कोविड-19 के दौरान या उसके तुरंत बाद वर्कफोर्स में आया. रिमोट वर्क ने ऑफिस की अनौपचारिक बातचीत, ऑन-द-जॉब लर्निंग और मेंटरशिप को कम कर दिया. इससे युवाओं के लिए काम समझना और उसमें ढलना मुश्किल हो गया.
Gen Z बर्नआउट के आम लक्षण
1. काम शुरू करने से पहले ही थकावट
2. लो एनर्जी और फोकस की कमी
3. मोटिवेशन का गिरना
4. लगातार तनाव और निराशा














