अमेरिका से 1 अरब डॉलर के फाइटर जेट इंजन खरीदेगा भारत, जल्द लग सकती है सौदे पर मुहर

0
18

भारत और अमेरिका एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. इस सौदे के तहत भारतीय वायुसेना के लिए 97 एलसीए मार्क-1ए तेजस लड़ाकू विमानों को शक्ति देने हेतु 113 इंजन खरीदे जाएंगे. इस सौदे की अनुमानित कीमत 1 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक बताई जा रही है. यह ऑर्डर उन 99 जीई-404 इंजनों के अतिरिक्त होगा, जिनकी आपूर्ति 83 तेजस विमानों के लिए पहले ही तय हो चुकी है.

टैरिफ विवाद 

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के साथ व्यापार को लेकर भारत पर 50% टैरिफ लगाने का फैसला किया है. इसके चलते भारत-अमेरिका आर्थिक रिश्तों में खिंचाव पैदा हुआ है. वहीं, चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों और वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों के बीच यह रक्षा सौदा भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है.

इंजन आपूर्ति की निरंतरता

रक्षा सूत्रों के अनुसार, 113 इंजनों के सौदे पर बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है और इस पर सितंबर तक हस्ताक्षर होने की संभावना है. यह सौदा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के लिए इंजन आपूर्ति की निरंतरता सुनिश्चित करेगा, जिससे स्वदेशी लड़ाकू विमानों के उत्पादन कार्यक्रम में कोई बाधा न आए. एचएएल ने 83 तेजस विमानों की पहली खेप 2029-30 तक और शेष 97 विमानों की डिलीवरी 2033-34 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा है. जीई कंपनी प्रति माह दो इंजन की आपूर्ति करेगी, जिससे उत्पादन समयबद्ध रूप से आगे बढ़ सके.

एडवांस इंजनों के लिए अलग सौदा

इसी बीच एचएएल, जीई कंपनी के साथ एक और बड़ा समझौता करने की तैयारी में है. लगभग 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर के इस सौदे में 200 जीई-414 इंजन की खरीद शामिल होगी. इन इंजनों का उपयोग एलसीए मार्क-2 और भविष्य के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) कार्यक्रम में किया जाएगा.
सबसे खास बात यह है कि इस समझौते के तहत 80% तकनीक हस्तांतरण का प्रावधान भी होगा, जो भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा.

LCA मार्क-2 फाइटर जेट को देंगे ताकत

जीई-414 इंजन का इस्तेमाल 162 एलसीए मार्क-2 विमानों और एएमसीए के 10 प्रोटोटाइप में किया जाएगा. ये दोनों विमान भारतीय वायुसेना की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा हैं, जिनका उद्देश्य पुराने पड़ चुके मिग-21 बेड़े को बदलना है. मिग-21 विमान अब अपने अंतिम चरण में सेवानिवृत्त हो रहे हैं, ऐसे में तेजस और एएमसीए कार्यक्रम भारतीय वायुसेना की ताकत में नई जान फूंकेंगे.

आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत

भारत इस समय फ्रांसीसी कंपनी सफ्रान के साथ मिलकर स्वदेशी इंजन निर्माण पर भी काम कर रहा है. यदि यह परियोजना सफल होती है तो भारत न केवल अपने लिए बल्कि अन्य देशों के लिए भी लड़ाकू विमान इंजन निर्माण करने में सक्षम हो जाएगा. इससे भारत रक्षा क्षेत्र में आयात-निर्भरता घटाकर वैश्विक स्तर पर एक निर्यातक के रूप में भी उभर सकता है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here