अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आने वाले वस्त्रों पर कुल 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद सबसे अधिक प्रभाव भारतीय टेक्सटाइल उद्योग पर पड़ने की आशंका है. इस टैरिफ में 25% मूल शुल्क के अतिरिक्त 25% दंडात्मक शुल्क जोड़ा गया है, जिसे भारत ने एकतरफा और अनुचित बताया है. अब भारत इस झटके से निपटने के लिए वैकल्पिक बाजारों की तलाश में जुट गया है.
लाखों नौकरियों पर संकट
भारत का टेक्सटाइल सेक्टर रोजगार देने वाला एक प्रमुख क्षेत्र है, जिसमें लाखों लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं. अमेरिकी टैरिफ के कारण अमेरिका में भारतीय कपड़ों की मांग घटने की संभावना है, जिससे ऑर्डर में गिरावट और उत्पादन में कटौती हो सकती है. इससे व्यापक स्तर पर बेरोजगारी की समस्या पैदा हो सकती है. इन परिस्थितियों को देखते हुए भारत सरकार ने 40 वैकल्पिक बाजारों में अपने निर्यात को बढ़ाने की योजना बनाई है.
40 वैकल्पिक बाजारों पर फोकस
सरकार अब जापान, दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन सहित लगभग 40 देशों को संभावित नए निर्यात बाजार के रूप में देख रही है. इन देशों का संयुक्त वस्त्र और परिधान आयात बाजार लगभग 590 अरब डॉलर का है. भारत की मौजूदा भागीदारी इस बाजार में केवल 5-6% के आसपास है, जो विस्तार की बड़ी संभावनाओं की ओर इशारा करता है.
48 अरब डॉलर के संभावित नुकसान की आशंका
AEPC के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर के अनुसार, यह टैरिफ भारत के लिए भारी आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है. उन्होंने बताया कि अमेरिकी बाजार में पहले से ही 25% टैरिफ लागू था, लेकिन अब अतिरिक्त 25% दंडात्मक शुल्क के कारण भारतीय उत्पाद वहां की प्रतिस्पर्धा से बाहर हो सकते हैं. उनका मानना है कि इस टैरिफ से भारतीय उद्योग को कुल 48 अरब डॉलर से अधिक का झटका लग सकता है.
179 अरब डॉलर का उद्योग
भारतीय टेक्सटाइल उद्योग वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 179 अरब डॉलर होने का अनुमान है, जिसमें से 37 अरब डॉलर का निर्यात शामिल है. इसके बावजूद भारत की वैश्विक टेक्सटाइल आयात बाजार में हिस्सेदारी महज 4.1% है, जिससे वह वैश्विक स्तर पर छठे स्थान पर है. यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब वैश्विक टेक्सटाइल इंपोर्ट बाजार 800 अरब डॉलर से अधिक का है.