भारत और फ्रांस मिलकर अब एक अत्याधुनिक, शक्तिशाली जेट इंजन विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. यह इंजन देश के स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर और अन्य आधुनिक विमानों के लिए विकसित किया जाएगा, जिससे दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) जल्द ही इस महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी के लिए कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) के समक्ष प्रस्तुत करेगा.
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इस परियोजना में फ्रांस की प्रमुख कंपनी सैफरान भारत को शत-प्रतिशत तकनीक सौंपना चाहेगी. इससे 120 किलोन्यूटन के नए इंजन का डिजाइन, डेवलपमेंट, टेस्टिंग, सर्टिफिकेशन और प्रोडक्शन भारत में ही संभव होगा.
क्या है भारत का प्लान?
एक अधिकारी ने बताया कि डीआरडीओ ने Safran के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.सैफरान लंबे समय से भारत में विभिन्न हेलीकॉप्टर इंजन का निर्माण कर रही है. डीआरडीओ का मानना है कि पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान AMCA (उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान) के लिए सैफरान सबसे सही विकल्प है. इस प्रोजेक्ट में डीआरडीओ की लैब गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट भी शामिल होगी, जो लगभग सात बिलियन डॉलर का होगा.
राजनाथ सिंह ने लगाई मुहर
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को ‘द इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम’ में इस प्रोजेक्ट पर मुहर लगाई. उन्होंने कहा कि हमने अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने के लिए कदम आगे बढ़ाए हैं. भारत ने स्वदेशी फाइटर जेट इंजन के निर्माण की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कदम उठाया है. हम फ्रांसीसी कंपनी Safran के साथ भारत में इंजन निर्माण का काम शुरू करने वाले हैं.
कैसे बनेंगे स्वदेशी फाइटर जेट इंजन
भारत में एयरो-इंजन बनाने की क्षमता नहीं होने के कारण स्वदेशी फाइटर जेट कार्यक्रम लंबे समय से चुनौतियों का सामना कर रहा है, खास तौर से थ्रस्ट-टू-वेट अनुपात को लेकर. अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा 99 GE-F404 टर्बोफैन इंजनों की आपूर्ति में करीब दो साल की देरी हो गई है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने अगस्त 2021 में इसके लिए 5,375 करोड़ रुपये का अनुबंध किया था. हथियारों और रडार के एकीकरण में आ रही दिक्कतों के कारण तेजस मार्क-1A लड़ाकू विमानों का उत्पादन प्रभावित रहा.
HAL और GE की खास तैयारी
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स और जनरल इलेक्ट्रिक को GE-F414 इंजन के सह-उत्पादन के लिए अंतिम समझौता अभी करना बाकी है. 98 किलोन्यूटन थ्रस्ट क्लास वाला यह इंजन लगभग 1.5 बिलियन डॉलर में 80 फीसदी तकनीक ट्रांसफर के साथ आएगा और तेजस मार्क-2 वेरिएंट को शक्ति देगा.
प्रोजेक्ट को लेकर क्या बोले अधिकारी
अधिकारी के अनुसार, Safran के साथ जेट इंजन परियोजना में भारत को पूर्ण बौद्धिक संपदा (IP) स्वामित्व और लाइसेंसिंग नियंत्रण प्राप्त होगा. इससे भारत में एयरो-इंजन निर्माण का एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार होगा, जिसमें पूरी सप्लाई चेन का विकास शामिल है. मई में रक्षा मंत्रालय ने 25 टन वजनी AMCA प्रोटोटाइप के विकास के लिए एक नए ‘प्रोग्राम एक्सीक्यूशन मॉडल’ को मंजूरी दी, जिसमें निजी क्षेत्र की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी.
भारतीय वायुसेना की बढ़ेगी ताकत
मौजूदा समयसीमा के अनुसार, AMCA को आवश्यक थ्रस्ट-टू-वेट अनुपात, एडवांस्ड सेंसर फ्यूजन और स्टेल्थ फीचर्स—जैसे आंतरिक हथियार और ‘सर्पेन्टाइन एयर-इनटेक’ के साथ 2035 तक उत्पादन के लिए तैयार किया जा सकेगा. भारतीय वायुसेना की योजना सात स्क्वाड्रन (126 जेट) शामिल करने की है. पहले दो स्क्वाड्रन अमेरिकी GE-F414 इंजन से संचालित होंगे, जबकि अगले पांच 120 किलोन्यूटन इंजन से चलेंगे.
















