पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की बहन अलीमा खानम शुक्रवार को रावलपिंडी की अदियाला जेल में अपने भाई से मिलने गई थीं. मुलाकात के बाद जब वह जेल परिसर से बाहर निकलकर मीडिया से बातचीत कर रही थीं तभी उन पर किसी ने अचानक से अंडा से हमला किया. यह घटना कैमरे में रिकॉर्ड हो गई और इसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि अंडा सीधा अलीमा खानम की ठुड्डी पर जाकर लगता है और फिर उनके कपड़ों पर गिरता है. घटना के बाद एक महिला की आवाज सुनाई देती है यह कौन है? किसने किया ये? इस हमले से अलीमा खानम भले चकित रह गईं हों लेकिन उन्होंने शालीनता से प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोई बात नहीं जाने दो.
दो महिलाएं गिरफ्तार
पुलिस ने अलीमा खानम पर अंडा फेंकने के आरोप में दो महिलाओं को गिरफ्तार किया है. प्रारंभिक जांच के अनुसार ये दोनों महिलाएं पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की समर्थक हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार अंडा फेंकने की घटना उस वक्त हुई जब अलीमा खानम ने एक पत्रकार के संवेदनशील सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया.
क्या था विवादित सवाल?
मीडिया के अनुसार पत्रकारों ने अलीमा खानम से पत्रकार तैय्यब बलोच से जुड़े सवाल किए थे. बलोच ने अलीमा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने दान के पैसों से संपत्ति खरीदी. इसके अलावा बलोच ने यह भी दावा किया कि समर्थकों ने उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चलाया और धमकियां दीं. जब पत्रकारों ने इस पर अलीमा से सवाल किया तो उन्होंने टालने की कोशिश की जिसके बाद माहौल गर्म हो गया.
इमरान खान के खिलाफ चल रही है सुनवाई
इमरान खान इस समय तोशाखाना मामले में सजा काट रहे हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए तोशाखाना में जमा की गईं कीमती उपहार वस्तुओं की अवैध खरीद-बिक्री की. यह मामला 14 करोड़ पाकिस्तानी रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियों से जुड़ा हुआ है. इसी केस में अगस्त 2023 में उन्हें तीन साल की सजा सुनाई गई थी. इस केस में इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी के खिलाफ सुनवाई 8 सितंबर तक स्थगित कर दी गई है. यह मामला पाकिस्तान में राजनीतिक और कानूनी हलकों में लगातार सुर्खियों में बना हुआ है.
सोशल मीडिया पर विरोध और समर्थन की बौछार
इस घटना ने इंटरनेट पर गहरी प्रतिक्रिया पैदा की है. जहां एक ओर कई लोगों ने अलीमा खानम पर हुए हमले की कड़ी निंदा की वहीं कुछ वर्गों ने इसे राजनीतिक की निशानी बताया. समर्थकों ने इसे विपक्ष की साजिश करार दिया. जबकि अन्य यूजर्स ने इसे पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला बताया.
इस घटना ने पाकिस्तान की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला दिया है. अलीमा खानम पर जेल के बाहर हमला एक ओर जहां राजनीतिक को उजागर करता है वहीं यह भी सवाल खड़ा करता है कि लोकतंत्र में असहमति का स्थान और स्वरूप क्या होना चाहिए.