दिल्ली-NCR में हाहाकार, 15 नए प्रदूषण हॉटस्पॉट्स ने तोड़े सारे पुराने रिकॉर्ड!

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नई दिल्ली: दिल्ली और एनसीआर में इस साल सर्दियों की शुरुआत के साथ ही प्रदूषण का स्तर और भी भयावह हो गया है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की नई रिपोर्ट बताती है कि राजधानी में हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है, जहरीले कण बढ़ रहे हैं और पिछले वर्षों में जो मामूली सुधार देखा गया था, वह अब पूरी तरह ठहर गया है. रिपोर्ट यह भी बताती है कि एनसीआर के छोटे शहरों में प्रदूषण और गहराता जा रहा है, जहां नए-नए हॉटस्पॉट बन रहे हैं. कम पराली जलने के बावजूद हवा का बेहद खराब होना साफ संकेत है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्थानीय स्रोत अब सबसे बड़ा खतरा बन चुके हैं.

कम पराली जलने पर भी गंभीर स्थिति क्यों

CSE के अनुसार इस बार पंजाब और हरियाणा से आने वाला पराली का धुआं काफी कम था, फिर भी दिल्ली की हवा ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ स्तर तक पहुंच गई. इसका मतलब है कि प्रदूषण का मुख्य कारण अब स्थानीय स्रोत हैं . जिनमें वाहन, कचरा जलाना, उद्योग और अन्य दहन से जुड़े स्रोत शामिल हैं.

CSE की विशेषज्ञ अनुपमा राय चौधरी ने कहा कि अब पराली को दोष देने की गुंजाइश खत्म हो चुकी है. उनके अनुसार स्थानीय स्तर पर निकलने वाली जहरीली गैसें PM2.5 के साथ मिलकर खतरनाक मिश्रण बना रही हैं, जो ढांचागत और नीतिगत बदलाव की सख्त जरूरत दर्शाता है.

NCR के छोटे शहर भी हुए प्रदूषित

रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीआर के छोटे शहरों में स्मॉग लंबे समय तक बना हुआ है और वहां प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. कई नए प्रदूषण हॉटस्पॉट उभर आए हैं, जहां लगातार AQI खराब होता जा रहा है.

दिल्ली में AQI गंभीर श्रेणी में पहुंचा

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार मंगलवार को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 304 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है. कई इलाकों में हालात और भी खराब रहे:-

  • आनंद विहार: AQI 383
  • अक्षरधाम: AQI 383
  • आईटीओ: AQI 331
  • गाजीपुर: AQI 383
  • इन क्षेत्रों में सुबह से ही घना धुंध और स्मॉग छाया रहा, जिससे दृश्यता और हवा की गुणवत्ता दोनों प्रभावित हुईं.

स्थानीय स्रोतों पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत

CSE की रिपोर्ट साफ चेतावनी देती है कि पराली धुएं में कमी के बावजूद दिल्ली-एनसीआर की हवा साफ नहीं हो रही. स्थिति में सुधार तभी संभव है जब बड़े पैमाने पर वाहनों, उद्योगों, निर्माण गतिविधियों और कचरा प्रबंधन पर सख्त और प्रभावी कार्रवाई की जाए.

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