पंजाब में गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए बेटी की शादी सिर्फ एक सामाजिक परंपरा नहीं, बल्कि एक आर्थिक चुनौती बन जाती है. लेकिन अब ऐसे परिवारों की परेशानियों का हल लेकर आई है भगवंत मान सरकार की ‘आशीर्वाद योजना’. हाल ही में सरकार ने इस योजना के अंतर्गत 5,751 लाभार्थी परिवारों को कुल ₹29.33 करोड़ की वित्तीय सहायता जारी कर, एक साथ हजारों घरों में खुशियों की रौशनी फैला दी है.
यह योजना केवल एक सरकारी प्रयास नहीं, बल्कि एक संवेदनशील सरकार की सोच का परिणाम है, जो समाज के सबसे कमजोर वर्ग के साथ खड़ी नजर आती है. मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में यह सहायता केवल पैसा नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान और सामाजिक सुरक्षा का प्रतीक बन गई है. यह वही ‘शगुन’ है, जो अब सच में ‘आशीर्वाद’ बनकर हजारों परिवारों के जीवन में बदलाव ला रहा है.
17 जिलों की बेटियों को मिला मान सरकार का ‘आशीर्वाद’
सामाजिक न्याय, अधिकारिता एवं अल्पसंख्यक मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने जानकारी दी कि वर्ष 2025-26 के दौरान अनुसूचित जाति के 5,751 लाभार्थियों को आशीर्वाद योजना के अंतर्गत ₹29.33 करोड़ वितरित किए गए हैं. यह राशि पंजाब के 17 जिलों से प्राप्त आवेदनों के आधार पर जारी की गई है.
जिन जिलों में सबसे अधिक लाभार्थी रहे, उनमें जालंधर (1,087), मोगा (885), लुधियाना (839), बठिंडा (633) प्रमुख हैं. इसके अलावा बरनाला (58), फरीदकोट (67), फिरोजपुर (349), फतेहगढ़ साहिब (106), गुरदासपुर (265), होशियारपुर (70), मुक्तसर (192), पटियाला (357), रूपनगर (147), एसएएस नगर (65), एसबीएस नगर (359), संगरूर (210) और मलेरकोटला (62) जिलों में भी बड़ी संख्या में बेटियों को इसका लाभ मिला है.
योजना का उद्देश्य
डॉ. बलजीत कौर ने बताया कि योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक का पंजाब का स्थायी निवासी होना आवश्यक है और वह अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से संबंधित होना चाहिए. परिवार की वार्षिक आय ₹32,790 से अधिक नहीं होनी चाहिए. प्रत्येक पात्र परिवार को अधिकतम दो बेटियों के लिए ₹51,000 की सहायता दी जाती है.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह राशि (DBT) के माध्यम से सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजी जाती है, जिससे बिचौलियों और भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं रहती.
बेटियों के सपनों में सरकार की भागीदारी
यह योजना न सिर्फ आर्थिक सहायता है, बल्कि बेटियों को यह भरोसा भी देती है कि उनका भविष्य सुरक्षित हाथों में है. यह एक ऐसा कदम है, जो यह संदेश देता है कि एक गरीब पिता अब अपनी बेटी की शादी के लिए न कर्ज में डूबेगा और न ही किसी के आगे हाथ फैलाएगा. जब एक मां के मोबाइल पर ₹51,000 जमा होने का मैसेज आता है, तो वह सरकार को दिल से दुआएं देती है.
फाइलों को दी गई प्राथमिकता
जहां पहले की सरकारों में आवेदन वर्षों तक फाइलों में दबे रहते थे, वहीं मान सरकार ने इन लंबित मामलों को प्राथमिकता देकर साबित कर दिया है कि उनके लिए जनता की पीड़ा सिर्फ कागजी काम नहीं, बल्कि एक वास्तविक जिम्मेदारी है. करोड़ों रुपये की यह राहत बताती है कि सरकार ने उन परिवारों की चिंता को गंभीरता से समझा है.
मान सरकार की प्राथमिकता
‘शगुन योजना’ अब ‘आशीर्वाद योजना’ बनकर एक नया आयाम ले चुकी है. इसका मूल उद्देश्य यही है कि कोई भी बेटी सिर्फ इसीलिए सम्मान से विदा न हो पाए कि उसके पिता के पास पैसे नहीं हैं. यह योजना उस समाजिक समरसता की दिशा में एक सशक्त कदम है, जहां हर बेटी को बराबरी का दर्जा मिले.
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यह सुनिश्चित किया है कि कल्याणकारी योजनाएं कागजों तक सीमित न रहें, बल्कि जमीन पर असर दिखाएं. ₹29.33 करोड़ की यह सहायता इस बात का प्रमाण है कि सरकार की नीतियां जनहित में कैसे सार्थक रूप ले सकती हैं.
योजना के माध्यम से बदलाव की शुरुआत
‘आशीर्वाद योजना’ केवल वित्तीय सहायता नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और मानवीय संवेदनाओं की एक मिसाल है. यह वह भरोसा है, जो एक गरीब पिता को अपनी बेटी को हंसी-खुशी विदा करने की हिम्मत देता है. यह वह भरोसा है, जो एक मां को राहत की सांस देता है. और यह वह भरोसा है, जो बताता है कि पंजाब की बेटियां अकेली नहीं हैं. पूरी सरकार उनके साथ खड़ी है.














