मध्य प्रदेश में 6 विधायक, 8 पूर्व विधायक, 3 पूर्व मंत्रियों को मिली बड़ी जिम्मेदारी, कार्यकर्ताओं में जमीनी नेताओं की अनदेखी पर फूटा गुस्सा

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MP Congress list Released

मध्य प्रदेश कांग्रेस में शनिवार को 71 जिला अध्यक्षों की सूची जारी होने के बाद भारी उथल-पुथल मच गई है. इस संगठनात्मक फेरबदल को पार्टी की एकजुटता को मजबूत करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा था,  भोपाल से लेकर इंदौर, उज्जैन और बुरहानपुर तक कई जिलों में विरोध, इस्तीफे और असंतोष की लहर पैदा कर दी है. खास तौर पर राघौगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह के समर्थकों ने इस सूची के खिलाफ तीखा विरोध दर्ज किया है. कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस फेरबदल ने पार्टी के भीतर गुटीय मतभेदों को और गहरा कर दिया है, जिससे मध्य प्रदेश कांग्रेस की एकता पर सवाल उठ रहे हैं. 

राघौगढ़ में जयवर्धन सिंह के समर्थकों का हंगामा
राघौगढ़ में सबसे ज्यादा विवाद देखने को मिला, जहां जयवर्धन सिंह को गुना जिला अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले ने उनके समर्थकों में भारी नाराजगी पैदा की. समर्थकों ने इसे उनके राजनीतिक कद को कम करने की कोशिश करार दिया. गुस्साए कार्यकर्ताओं ने देर रात तक प्रदर्शन किया, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का पुतला जलाया और नारेबाजी करते हुए नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए. 

भोपाल में प्रवीण सक्सेना की नियुक्ति पर विवाद
राजधानी भोपाल में प्रवीण सक्सेना को दोबारा जिला अध्यक्ष बनाए जाने से असंतोष भड़क उठा. पूर्व जिला अध्यक्ष मोनू सक्सेना, जो इस पद के लिए दावेदार थे, ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने नेतृत्व पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नए संगठन निर्माण के आह्वान की अनदेखी करने का आरोप लगाया. मोनू सक्सेना ने कहा, “यह फैसला पार्टी के भविष्य के लिए घातक हो सकता है.”

इंदौर और उज्जैन में भी विरोध की आग
इंदौर में नए शहर अध्यक्ष चिंटू चौकसे और जिला अध्यक्ष विपिन वानखेड़े की नियुक्ति के खिलाफ कार्यकर्ताओं ने तीखा विरोध दर्ज किया. पूर्व महिला विंग अध्यक्ष साक्षी शुक्ला डागा ने सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए इस फैसले को एकतरफा बताया. उज्जैन (ग्रामीण) में महेश परमार की नियुक्ति को लेकर भी कार्यकर्ता नाखुश हैं. सतना में सिद्धार्थ कुशवाहा के खिलाफ असंतोष सामने आया है, जिसके चलते कई कार्यकर्ताओं ने खुलकर नाराजगी जताई. 

बुरहानपुर में अरुण यादव के समर्थकों की नाराजगी
बुरहानपुर में वरिष्ठ नेता अरुण यादव के समर्थकों ने प्रतिनिधित्व से वंचित किए जाने का आरोप लगाते हुए बंद कमरे में बैठक की. इस बीच, जिला प्रवक्ता और राजीव गांधी पंचायत प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हेमंत पाटिल ने विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे दिया. यह असंतोष अब इस्तीफों में तब्दील हो रहा है, जो पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया है.

नई सूची के अनुसार, 71 में से 21 अध्यक्षों को दोबारा नियुक्त किया गया है. सूची में 37 आरक्षित वर्ग से, 35 सामान्य, 12 ओबीसी, 10 एसटी, आठ एससी, चार महिलाएं और तीन अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. छह विधायकों, आठ पूर्व विधायकों और तीन पूर्व मंत्रियों को जिला स्तर की जिम्मेदारियां दी गई हैं. हालांकि, कार्यकर्ताओं का मानना है कि जमीनी स्तर के नेताओं की अनदेखी की गई है, जिससे नाराजगी और गहरी हो रही है. 

कमलनाथ की पकड़ बरकरार फिर भी गुटबाजी बढ़ी
हालांकि यह सूची राहुल गांधी की देखरेख में अंतिम रूप दी गई, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का प्रभाव अब भी मजबूत है. उनकी करीबी माने जाने वाली कम से कम 10 हस्तियों को सूची में जगह मिली है. ओमकार सिंह मरकाम, जयवर्धन सिंह, निलय डागा और प्रियव्रत सिंह जैसे नामों को शामिल करने से मतभेद और गहरे हो गए हैं. 

मध्य प्रदेश कांग्रेस के सामने एकता की चुनौती
यह संगठनात्मक फेरबदल मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए एकता का संदेश देने का प्रयास था, लेकिन इसके परिणाम उलट रहे हैं. पार्टी अब आंतरिक अशांति और गुटबाजी से जूझ रही है. कार्यकर्ताओं का असंतोष और इस्तीफों की लहर नेतृत्व के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस संकट से कैसे उबरती है.

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