Janmashtami 2025: साधु-संतों की जन्माष्टमी गृहस्थों की जन्माष्टमी से कैसे है अलग?

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Janmashtami 2025
Janmashtami 2025

Janmashtami 2025: हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. हर साल भक्त भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं. श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं, जिनका जन्म द्वापर युग में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस दिन मंदिरों में विशेष सजावट, झांकी और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है.

द्रिक पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 15 और 16 अगस्त दोनों दिन मनाया जाएगा. अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 11:49 बजे से शुरू होकर 16 अगस्त की रात 09:34 बजे तक रहेगी. वहीं, रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त से शुरू होकर 18 अगस्त तक रहेगा. इसी वजह से इस वर्ष व्रत दो दिनों तक रखा जाएगा.

साधु-संतों की जन्माष्टमी

हिंदू धर्म में साधु-संत जन्माष्टमी का पर्व गहरी भक्ति और तपस्या के साथ मनाते हैं. वे निराहार उपवास रखते हैं और पूरे दिन श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहते हैं. मध्यरात्रि 12 बजे, भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है. इस दौरान मूर्ति का अभिषेक कर, नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और झूला झुलाकर आरती की जाती है. इसके बाद ही साधु-संत व्रत का पारण करते हैं.

साधु-संत स्मार्त संप्रदाय के अनुयायी होते हैं. धर्मसिन्धु और निर्णयसिन्धु जैसे प्राचीन ग्रंथों में इनके लिए जन्माष्टमी मनाने के स्पष्ट नियम बताए गए हैं. साधु-संत अष्टमी तिथि को ही पर्व मनाते हैं, चाहे रोहिणी नक्षत्र का संयोग हो या न हो. उनके लिए भगवान के जन्म का समय ही पर्व का चरम क्षण होता है.

गृहस्थों की जन्माष्टमी

गृहस्थ लोग आमतौर पर वैष्णव संप्रदाय से जुड़े होते हैं और वे जन्माष्टमी का पर्व अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में मनाते हैं. कई बार यह संयोग एक ही दिन बनता है और कई बार अगले दिन. वर्ष 2025 में यह संयोग नहीं बन रहा, इसलिए गृहस्थ 16 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे.

गृहस्थ लोग व्रत के साथ-साथ घर और मंदिरों में झांकियां सजाते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और मध्यरात्रि को भगवान का जन्मोत्सव मनाते हैं. जन्माष्टमी के अगले दिन ‘दही-हांडी’ का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें मटकी फोड़ प्रतियोगिताएं होती हैं.

इस बार दो दिन क्यों जन्माष्टमी?

इस साल अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का मेल नहीं हो रहा है. अष्टमी तिथि 15-16 अगस्त को रहेगी, जबकि रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त से प्रारंभ होगा. इसी कारण साधु-संत और गृहस्थ अलग-अलग दिन यह पर्व मनाएंगे.

DISCLAIMER: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित है. The India Press इसकी किसी भी प्रकार से पुष्टि नहीं करता है.

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