रेणुकास्वामी मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की कन्नड़ एक्टर दर्शन की जमानत

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Renukaswamy Murder Case
Renukaswamy Murder Case

Renukaswamy Murder Case: कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री के अभिनेता दर्शन थूगुदीपा को बड़ा झटका लगा है. रेणुकास्वामी हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द कर दिया. अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जमानत मिलने से ट्रायल प्रभावित हो सकता है और गवाहों पर असर पड़ सकता है.

जस्टिस जमशेद बुर्जोर पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की दो जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट का आदेश यांत्रिक तरीके से लिया गया निर्णय है, जिसमें गंभीर खामियां हैं. अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि दर्शन को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और किसी भी तरह का फाइव-स्टार ट्रीटमेंट न दिया जाए, अन्यथा जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित कर दिया जाएगा.

हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के 13 दिसंबर 2024 के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि अदालत ने गवाहों के बयानों पर गौर किया, जो केवल ट्रायल कोर्ट का अधिकार क्षेत्र है. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायपालिका के हर स्तर पर कानून का राज बनाए रखना जरूरी है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “जस्टिस महादेवन ने बहुत ही विद्वत्तापूर्ण फैसला सुनाया है. यह अवर्णनीय है. यह संदेश देता है कि आरोपी चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह कानून से ऊपर नहीं है. इसमें एक कड़ा संदेश है कि किसी भी स्तर पर न्याय प्रदान करने वाली व्यवस्था को हर कीमत पर कानून का शासन बनाए रखना चाहिए.”

अदालत ने अपने आदेश में सख्त लहजे में कहा, “कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर या नीचे नहीं है. न ही हम किसी की अनुमति माँगते हैं जब हम उसका पालन करते हैं. समय की माँग है कि हर समय कानून का शासन बना रहे.”

रेणुकास्वामी हत्या का मामला और आरोप

दर्शन थूगुदीपा, अभिनेत्री पवित्रा गौड़ा और पांच अन्य पर आरोप है कि उन्होंने 33 वर्षीय ऑटो ड्राइवर रेणुकास्वामी का अपहरण कर बेरहमी से हत्या कर दी. बताया जाता है कि रेणुकास्वामी ने पवित्रा गौड़ा को अश्लील संदेश भेजे थे, जिसके बाद यह घटना हुई.

पुलिस ने 9 जून को रेणुकास्वामी का शव एक नाले से बरामद किया था. घटना के बाद सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन दिसंबर 2024 में हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उन्हें जमानत दे दी कि अभियोजन पक्ष गिरफ्तारी के पर्याप्त कारण पेश करने में नाकाम रहा.

राज्य सरकार का सुप्रीम कोर्ट रुख

कर्नाटक सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अब सर्वोच्च अदालत ने न केवल जमानत रद्द की, बल्कि पुलिस को सभी आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी का आदेश दिया और जेल में किसी भी तरह की विशेष सुविधा देने पर रोक लगा दी.

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