तालिबान का सख्त फैसला: इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध, जानें सरकार के इस कदम के पीछे का कारण

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तालिबान शासन वाले अफगानिस्तान में सोमवार को बड़ा डिजिटल संकट देखने को मिला जब सरकार के आदेश पर देशभर की इंटरनेट और टेलीकॉम सेवाएं अचानक बंद कर दी गईं. अफगान नागरिकों के लिए यह अब तक की सबसे गंभीर संचार बाधा बनकर उभरी है. फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क को जानबूझकर काट दिया गया है, जिससे पूरे देश में कम्युनिकेशन, बैंकिंग, शिक्षा और व्यापार सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं. इंटरनेट मॉनिटरिंग संस्था नेटब्लॉक्स के अनुसार इंटरनेट कनेक्टिविटी सामान्य स्तर से गिरकर 1% से भी कम रह गई है. ये ब्लैकआउट न केवल तकनीकी रूप से नुकसानदायक है बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी अफगानिस्तान की पहले से जूझ रही आबादी के लिए एक और झटका है.

क्यों किया गया अफगानिस्तान में इंटरनेट ब्लैकआउट?
तालिबान द्वारा यह अभियान सितंबर की शुरुआत में ही छेड़ा गया था. सरकार ने कुछ  शहरों में फाइबर ऑप्टिक केबल को काटने का निर्देश दिया था. 16 सितंबर को बल्ख प्रांत में प्रवक्ता अताउल्लाह जैद ने खुलकर स्वीकार किया कि उत्तर में फाइबर ऑप्टिक सेवा को जानबूझकर बंद किया गया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कहा कि ये फैसला अनैतिक गतिविधियों को रोकने के लिए लिया गया है. देशभर में व्यापक कनेक्टिविटी के लिए दूसरे विकल्प लागू करेंगे. यह बयान तालिबान की डिजिटल नैतिकता की परिभाषा को सामने लाता है जो आधुनिक दुनिया से एकदम उलटा है.

2021 के बाद पहली बार हुआ इतना बड़ा ब्लैकआउट
तालिबान के अगस्त 2021 में सत्ता में आने के बाद से यह पहला मौका है जब देश में इस पैमाने पर संचार व्यवस्था को पूरी तरह से बंद किया गया है. इससे न केवल आम नागरिकों की आवाजाही और संवाद बाधित हुआ है बल्कि सरकारी सेवाएं, व्यापार, परिवहन और सीमा शुल्क जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियां भी पूरी तरह से ठप हो गई हैं.

महिलाओं के लिए और बड़ी चुनौती बना इंटरनेट बैन
तालिबान के शासन के बाद से ही महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक जीवन में भागीदारी सीमित हो गई थी. अब इंटरनेट बैन ने महिलाओं को पूरी तरह डिजिटल दुनिया से बाहर कर दिया है. ऑनलाइन शिक्षा, रोजगार के अवसर, सोशल कनेक्टिविटी और सुरक्षित संवाद सब कुछ एक झटके में छिन गया है. ऐसे में डिजिटल बैन महिला सशक्तिकरण के लिए एक और बड़ी दीवार बन गया है.

क्या है आगे की राह?
हालांकि तालिबान सरकार ने यह संकेत दिया है कि वह वैकल्पिक कनेक्टिविटी मॉडल लागू करेगी लेकिन अब तक इस पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है. विशेषज्ञ मानते हैं कि संचार सेवा की बहाली के बिना देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति और बिगड़ सकती है.

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