Sensor-based doors in Mumbai local: मुंबई के उपनगरीय रेल नेटवर्क में इस साल के अंत तक दशकों का सबसे बड़ा सुरक्षा सुधार होने वाला है, जिसमें सभी वातानुकूलित और गैर-वातानुकूलित रेकों में स्वचालित दरवाज़े मानक सुविधा बन जाएंगे. रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम जून में मुंब्रा में हुई दुर्घटना के बाद उठाया गया, जिसमें एक भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेन से गिरने के कारण चार लोगों की मौत हो गई थी.
घनसोली में बोले केंद्रीय रेल मंत्री?
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घनसोली में बुलेट ट्रेन-शिल्पाता सुरंग परियोजना के उद्घाटन समारोह में कहा कि सरकार का मुख्य फोकस यात्री सुरक्षा पर है. उन्होंने स्पष्ट किया कि उपनगरीय ट्रेनों में स्वचालित दरवाज़ों को इस साल के अंत तक लागू किया जाएगा और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा.
वर्तमान में, 238 नई पूर्ण वातानुकूलित ट्रेनों का निर्माण चल रहा है, जिनमें सभी में सेंसर-आधारित स्वचालित दरवाज़े होंगे. ये ट्रेनें पश्चिमी और मध्य रेलवे कॉरिडोर पर संचालित होंगी, जिससे शहर में एसी रेकों की सबसे बड़ी शुरुआत होगी. साथ ही, गैर-एसी रेकों का भी क्रमिक रूप से उन्नयन किया जाएगा, ताकि सभी यात्रियों को समान सुरक्षा सुविधाएं मिल सकें.
इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में किया जा रहा रेकों का उत्पादन
इन रेकों का उत्पादन चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) द्वारा किया जा रहा है. अधिकारियों के अनुसार, पहला रेक नवंबर में आने की उम्मीद है और इसके बाद व्यापक स्तर पर तैनाती शुरू की जाएगी. इस स्वचालित प्रणाली को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि ट्रेन रवाना होने से पहले दरवाज़ा बंद हो जाए और ट्रेन रुकने पर ही खुले. इससे यात्रियों के बाहर धकेले जाने या चलती ट्रेन में चढ़ने के प्रयास को रोका जा सकेगा.
मुंबई के उपनगरीय रेल नेटवर्क पर प्रतिदिन औसतन आठ लोग अपनी जान गंवा देते हैं, जिनमें अधिकतर दुर्घटनाएं भीड़भाड़ और असुरक्षित बोर्डिंग अभ्यासों के कारण होती हैं. स्वचालित दरवाज़ों के लागू होने से न केवल ऐसी दुर्घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि यात्रियों में सुरक्षित यात्रा की आदतों को भी बढ़ावा मिलेगा.
यह सुधार न केवल सुरक्षा को बढ़ाएगा, बल्कि उपनगरीय ट्रेनों के संचालन को भी आधुनिक और सुरक्षित बनाएगा. इस कदम से मुंबई के यात्रियों के लिए रेल यात्रा अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनेगी और भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी.