हिंद महासागर में भारत की शक्ति अब और बढ़ने वाली है. आज विशाखापत्तनम नौसेना बेस पर आयोजित भव्य समारोह में अत्याधुनिक प्रोजेक्ट 17ए मल्टी-मिशन स्टील्थ फ्रिगेट ‘उदयगिरि’ और ‘हिमगिरि’ भारतीय नौसेना में शामिल किए जाएंगे. इस ऐतिहासिक अवसर की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह पहली बार होगा जब दो अलग-अलग शिपयार्डों में बने दो अत्याधुनिक युद्धपोत एकसाथ कमीशन किए जाएंगे. इन पोतों के शामिल होने के बाद नौसेना की युद्ध क्षमता न केवल कई गुना बढ़ेगी बल्कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की भी नई मिसाल स्थापित होगी.
शिवालिक क्लास से बड़े और उन्नत
‘उदयगिरि’ को मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने तैयार किया है जबकि ‘हिमगिरि’ का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकाता ने किया है. ‘उदयगिरि’ नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो का 100वां डिजाइन किया गया जहाज है. करीब 6,700 टन वजनी ये युद्धपोत शिवालिक क्लास से बड़े और अधिक उन्नत तकनीक से लैस हैं.
स्टील्थ तकनीक और घातक हथियारों से लैस
दोनों युद्धपोत इस तरह डिजाइन किए गए हैं कि ये दुश्मन के रडार को आसानी से चकमा दे सकते हैं. इनमें डीजल इंजन और गैस टर्बाइन दोनों लगे हैं. साथ ही ये आधुनिक मिसाइलों, तोपों और पनडुब्बी रोधी हथियारों से लैस हैं.
मैटेरियल और ऐंगल्ड डिजाइन
वजन : लगभग 6,670 टन
लंबाई : 149 मीटर (करीब 15 मंजिला इमारत जितनी ऊंचाई)
गति : करीब 52 किमी/घंटा
रेंज : एक बार ईंधन भरने के बाद 10,000 किमी से ज्यादा
हेलिकॉप्टर ऑपरेशन के लिए सी किंग हेलिकॉप्टर ले जाने की क्षमता
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस, 290+ किमी की मारक क्षमता
मिसाइलों और ड्रोन को नष्ट करने की क्षमता और अत्याधुनिक सोनार सिस्टम
आत्मनिर्भरता और रोजगार सृजन
इन युद्धपोतों के निर्माण में 200 से ज्यादा भारतीय कंपनियों ने हिस्सा लिया. इससे 4,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और 10,000 से अधिक को अप्रत्यक्ष रोजगार मिला. यह न सिर्फ आत्मनिर्भर भारत अभियान की बड़ी सफलता है, बल्कि देश के जहाज निर्माण उद्योग के लिए भी मील का पत्थर है.
चीन-पाकिस्तान को सख्त संदेश
भारतीय नौसेना के अनुसार, इन दोनों जहाजों के शामिल होने से हिंद महासागर में भारत की पकड़ और मजबूत होगी. भारत अब अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और यहां तक कि मलक्का जलडमरूमध्य तक चीनी जहाजों की हर हलचल पर पैनी नजर रख सकेगा. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम चीन और पाकिस्तान को सीधा संदेश है, क्योंकि चीन श्रीलंका, मालदीव और अफ्रीकी तटों पर बंदरगाहों के जरिये हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है. वहीं पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट पर चीनी नौसैनिक गतिविधियां भारत के लिए चिंता का विषय रही हैं.
आगामी स्वदेशी परियोजनाएं
‘उदयगिरि’ और ‘हिमगिरि’ के बाद नौसेना 2025 में अन्य स्वदेशी पोतों जैसे विध्वंसक आईएनएस सूरत, फ्रिगेट आईएनएस नीलगिरि, पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर, एएसडब्ल्यू शैलो वाटर क्राफ्ट आईएनएस अर्नाला और डाइविंग सपोर्ट वेसल आईएनएस निस्तार का जलावतरण करेगी.