भारतीय क्रिकेट के दिग्गज और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने कोचिंग करियर की ओर कदम बढ़ाते हुए प्रिटोरिया कैपिटल्स के मुख्य कोच के रूप में नई जिम्मेदारी संभाली है. यह फ्रेंचाइजी दिल्ली कैपिटल्स की सहयोगी टीम है, जिसके साथ गांगुली पहले भी बतौर मेंटर और क्रिकेट निदेशक के रूप में काम कर चुके हैं. गांगुली का यह फैसला एक हद तक चौंकाने वाला हो सकता है, लेकिन उनके क्रिकेटिंग अनुभव और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए यह एक स्वाभाविक अगला कदम भी माना जा रहा है.
गांगुली की क्रिकेट करियर
सौरव गांगुली की यात्रा हमेशा से प्रेरणादायक रही है, चाहे वो खिलाड़ी, कप्तान, सीएबी अध्यक्ष, बीसीसीआई अध्यक्ष या कमेंटेटर के रूप में हो. उन्होंने भारतीय क्रिकेट को वो दिशा दी जिसे आज भी खिलाड़ी और प्रशंसक सम्मान से देखते हैं. उनकी नेतृत्व शैली ने वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, जहीर खान और हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमकने का मौका दिया. अब जब उन्होंने कोचिंग में कदम रखा है, तो क्रिकेट एक्सपर्ट का मानना है कि यह गांगुली के भारतीय टीम के भविष्य के कोच बनने की संभावनाओं को और मज़बूत करता है.
भारत के अगले कोच बनने की संभावनाएं
गांगुली के पास वह अनुभव और रणनीतिक सोच है, जो उन्हें भारत के मुख्य कोच की भूमिका के लिए उपयुक्त बनाता है. वर्तमान में गौतम गंभीर इस पद पर हैं और हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज को 2-2 से ड्रॉ कर भारत की साख बचाई है. हालांकि गंभीर की नियुक्ति की शुरुआत विवादों और आलोचनाओं के साथ हुई, लेकिन उन्होंने लखनऊ सुपर जायंट्स और कोलकाता नाइट राइडर्स जैसी फ्रेंचाइजियों के साथ अच्छे परिणाम दिए हैं. फिर भी अगर भविष्य में टीम का प्रदर्शन गिरता है या ड्रेसिंग रूम में असंतोष बढ़ता है, तो गांगुली को गंभीर की जगह लाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
बीसीसीआई बनाम पीसीबी
बीसीसीआई की कोचिंग नियुक्तियों में स्थिरता रही है, जो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) की तरह बदलावों की राजनीति से दूर है. वीवीएस लक्ष्मण ने भारत के कोच बनने से इनकार कर दिया और रिकी पोंटिंग ने कभी औपचारिक आवेदन ही नहीं किया. ऐसे में गांगुली एक स्वाभाविक विकल्प बन सकते हैं. एक ऐसा चेहरा जो प्रशासक और कोच, दोनों रूपों में पहले ही खुद को साबित कर चुका है.
कोचिंग में मानसिक-शारीरिक चुनौती
कोचिंग कोई आसान कार्य नहीं है. रवि शास्त्री थकान के कारण हटे, राहुल द्रविड़ ने पारिवारिक कारणों से ब्रेक लिया. गांगुली भी 53 की उम्र में दिल की समस्या से जूझ चुके हैं, लेकिन आज वे पहले से ज्यादा फिट और ऊर्जावान नजर आते हैं. उन्हें खेल से जुड़ाव बनाए रखने और योगदान देने की ललक है, जो उन्हें एक परिपूर्ण कोच बनाती है.
क्या गांगुली तैयार हैं?
सौरव गांगुली ने सार्वजनिक रूप से यह संकेत दिया है कि वे कोचिंग के लिए तैयार हैं. प्रिटोरिया कैपिटल्स में उनका कार्यकाल इस दिशा में पहला कदम हो सकता है. अगर उनका प्रदर्शन अच्छा रहता है और भारत को कोचिंग बदलाव की जरूरत महसूस होती है, तो यह तय मानिए कि रॉयल बंगाल टाइगर फिर से दहाड़ेगा. इस बार ड्रेसिंग रूम में एक रणनीतिक गुरु के रूप में.