बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में मतदाताओं ने उत्साह का नया रिकॉर्ड कायम किया है. 6 नवंबर को 18 जिलों की 121 सीटों पर वोटिंग हुई, जिसमें 64.66% मतदान दर्ज किया गया. यह 2020 की तुलना में 2% से 5% तक अधिक है. पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधेपुरा, सहरसा, गोपालगंज, सिवान समेत कुल 18 जिलों में भारी संख्या में लोग मतदान केंद्रों पर जुटे.
कहां हुआ कितना मतदान?
पहले चरण में कई जिलों ने 60% से अधिक मतदान दर्ज किया, जबकि मुजफ्फरपुर 70.96% के साथ शीर्ष पर रहा. समस्तीपुर, वैशाली, मधेपुरा और गोपालगंज में भी उल्लेखनीय वोटिंग देखने को मिली. पटना, नालंदा और भोजपुर जैसे जिलों में मतदान अपेक्षाकृत कम रहा, लेकिन अभी भी 57% से 59% के बीच दर्ज किया गया.
SIR में हटे 9.25% वोटर्स
बिहार में इस बार चुनाव ठीक उन दिनों हो रहा है जब स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का बड़ा अभियान पूरा हुआ है. SIR रिपोर्ट के अनुसार, जून 2025 में मतदाता 7.89 करोड़ थे. एसआईआर के बाद अगस्त में 65 लाख मतदाता हटाए गए, जिसके बाद कुल वोटर्स 7.24 करोड़ रह गए और अंतिम सूची 30 सितंबर को सामने आई, इसमें 68.66 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए.
नए जोड़े गए मतदाता 21.53 लाख
कुल मिलाकर 47.13 लाख वोटर लिस्ट से कम हुए, जो 2020 की तुलना में लगभग 9.25% की कमी है. नए वोटर्स को जोड़कर देखा जाए तो कुल गिरावट लगभग 6.35% है.
पहले चरण की सीटों पर SIR का प्रभाव
पहले चरण के 121 विधानसभा क्षेत्रों में भी SIR का बड़ा असर नजर आया. बेगूसराय, बिहार के उन जिलों में है जहां सबसे अधिक वोटर्स हटाए गए, 1.67 लाख यानी 7.47%. इसी तरह पटना में 3.95 लाख वोटर हटे, गोपालगंज में 3.10 लाख कम, मुजफ्फरपुर में 2.82 लाख, दरभंगा में 2.03 लाख वोटर्स कम हुए.
औसतन देखा जाए तो पहले चरण की सीटों पर 5% से 8% वोटर्स हटे, जो लगभग उतनी ही दर है जितनी मतदान में बढ़ोतरी हुई है. 2020 में NDA–महागठबंधन का अंतर: सिर्फ 0.03 प्रतिशत. 2020 के चुनाव में NDA और महागठबंधन के कुल वोटों में मात्र 12,768 वोटों का अंतर था—प्रतिशत में सिर्फ 0.03%. कई सीटें 1,000 से भी कम वोटों से जीती-हारी थीं. ऐसे में इस बार लाखों वोटर्स के हटने का मुद्दा राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील बन गया है.
‘वोट चोरी’ के आरोपों से राजनीतिक घमासान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार आरोप लगा रहे हैं कि SIR के नाम पर “व्यवस्थित तरीके से वोट चोरी” की जा रही है. उन्होंने कहा कि बिहार में लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश रची जा रही है और Gen Z को इसे नाकाम करना चाहिए. चुनाव आयोग ने जवाब में कहा कि कांग्रेस के बूथ एजेंटों ने SIR प्रक्रिया के दौरान कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई.
कांग्रेस का दावा
कांग्रेस का दावा है कि बिहार में औसतन 4.89% वोट हटाए गए, लेकिन सीमांचल और भोजपुर जैसे क्षेत्रों में यह आंकड़ा 6% से अधिक है. पार्टी के नेताओं का कहना है कि कई लोगों को मतदान के दिन ही पता चलेगा कि उनके नाम सूची में नहीं हैं.
प्रशांत किशोर की राय
जनसुराज प्रमुख प्रशांत किशोर का मानना है कि SIR चुनाव का बुनियादी मुद्दा नहीं बनेगा. वे कहते हैं कि बिहार में असली मुद्दे हैं, पलायन, शिक्षा और भ्रष्टाचार. हालांकि वे यह भी चाहते हैं कि चुनाव आयोग विपक्ष के प्रश्नों का स्पष्ट उत्तर दे.













