Lashkar-e-Taiba’s headquarters : भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं, और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की भूमिका पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. अब एक नई रिपोर्ट में यह सामने आया है कि पाकिस्तान अपनी सेना और खुफिया एजेंसी के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा के ध्वस्त मुख्यालय को फिर से खड़ा कर रहा है. यह कदम भारतीय वायुसेना के ऑपरेशन सिंदूर के तहत किए गए हमले के बाद उठाया गया है, जिसमें पाकिस्तान के पंजाब स्थित लश्कर का मुख्यालय पूरी तरह से तबाह हो गया था.
पाकिस्तान ने दोबारा खड़ा किया लश्कर का मुख्यालय
पाकिस्तान के पंजाब के मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय, जिसे 7 मई को भारतीय वायुसेना के मिसाइल हमले में मलबे में बदल दिया गया था, अब दोबारा खड़ा किया जा रहा है. भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा ने 18 अगस्त को बुलडोजर और भारी मशीनों का इस्तेमाल करके इस क्षेत्र में मलबा हटाना शुरू किया. इससे साफ हो जाता है कि पाकिस्तान इस संगठन के समर्थन में सक्रिय रूप से काम कर रहा है, और यह आतंकवादी संगठन फिर से अपनी गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है.
ऑपरेशन सिंदूर और लश्कर का मुख्यालय
22 मई को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के पंजाब स्थित लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय को निशाना बनाया था. इस हमले में मुख्यालय की तीन बड़ी इमारतें ध्वस्त हो गईं, जिनमें एक लाल रंग की इमारत भी थी, जिसमें हथियारों का भंडारण किया जाता था. इसके अलावा, उम्म उल कुरा नामक दो मंजिला बिल्डिंग भी इस हमले में नष्ट हो गई, जहां लश्कर के आतंकवादी प्रशिक्षण लेते थे. लेकिन अब पाकिस्तान इस स्थान पर फिर से निर्माण कर रहा है, जो लश्कर की आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने का एक नया प्रयास है.
लश्कर का मुख्यालय फिर से तैयार करने की जिम्मेदारी
लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय फिर से तैयार करने की जिम्मेदारी मौलाना अबू जार, जो इस संगठन के मरकज तैयबा का डायरेक्टर है, के हाथों में है. इसके साथ ही लश्कर के चीफ ट्रेनर, उस्ताद उल मुजाहिदीन और ऑपरेशनल निगरानी करने वाले युनूस शाह बुखारी भी इस काम में जुटे हुए हैं. इनकी निगरानी में पाकिस्तान में लश्कर के नए ठिकानों और ट्रेनिंग कैंपों का निर्माण किया जा रहा है.
पाकिस्तान की भूमिका और वित्तीय सहायता
लश्कर-ए-तैयबा को पाकिस्तान सरकार से खुला वित्तीय समर्थन प्राप्त हो रहा है. अगस्त मं पाकिस्तान सरकार ने लश्कर को 1.25 करोड़ रुपये की सहायता दी थी, जिससे इस संगठन ने अपने मुख्यालय को फिर से तैयार करने की दिशा में काम करना शुरू किया. पाकिस्तान की भूमिका इस संदर्भ में हमेशा संदिग्ध रही है, क्योंकि यह खुद को आतंकवाद का शिकार बताता है, लेकिन सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने में सक्रिय है.
आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान का दोहरा रवैया
यह स्थिति पाकिस्तान के दोहरे रवैये को उजागर करती है, जो एक तरफ तो आतंकवाद का विरोध करता है, लेकिन दूसरी तरफ सीमा पार आतंकवादी संगठनों को समर्थन देता है. लश्कर ने पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों की मदद के नाम पर चंदा इकट्ठा करना भी शुरू कर दिया है, जबकि असल में यह चंदा आतंकवादी ढांचों को मजबूत करने में इस्तेमाल हो रहा है.
पाकिस्तान का यह कदम स्पष्ट रूप से दिखाता है कि वह लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकवादी संगठनों के प्रति अपनी नीयत में कोई बदलाव करने को तैयार नहीं है. इसके साथ ही, यह भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह इस्लामाबाद के आतंकवाद के प्रति ढुलमुल रवैये को और मजबूत करता है. भारत को पाकिस्तान के इन आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता है.