ECI Response to Opposition : लोकसभा चुनाव 2024 में वोटर फ्रॉड के आरोपों को लेकर मचे राजनीतिक घमासान के बीच, चुनाव आयोग ने शनिवार को स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में किसी भी गलती को चुनौती देने का सही समय “दावे और आपत्तियां” (Claims and Objections) की अवधि होती है, जो हर चुनाव से पहले तय समय के लिए रखी जाती है.
मतदाता सूची की प्रक्रिया
आयोग ने प्रेस रिलीज में बताया कि प्रारंभिक (ड्राफ्ट) मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद उसकी डिजिटल और भौतिक प्रतियां सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को भेजी जाती हैं और वेबसाइट पर भी डाली जाती हैं. इसके बाद पूरे एक महीने का समय उपलब्ध होता है, जिसमें मतदाता और राजनीतिक दल दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं. अंतिम सूची के प्रकाशन से पहले यदि किसी गलती की जानकारी दी जाती है, तो संबंधित एसडीएम या निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO) उन्हें सुधार सकते हैं.
प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती जाती है
आयोग ने कहा कि मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती जाती है, और यह काम कानूनी नियमों के अनुसार होता है. आयोग ने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दलों और उनके बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) ने समय रहते मतदाता सूचियों की जांच नहीं की और ना ही तब किसी गलती को उठाया.
राजनीतिक दलों से अपील
चुनाव आयोग ने सभी दलों और आम मतदाताओं से अपील की है कि वे मतदाता सूचियों की जांच करें और अगर कोई गलती है तो समय रहते सूचित करें, जिससे सूचियों की शुद्धता बनी रहे.
विपक्ष ने एक बार फिर आरोप लगाए
वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर आरोप लगाए हैं. उन्होंने महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा जैसे राज्यों में “वोट की चोरी” का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग मतदाता डेटा में गड़बड़ी कर रहा है और सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाने की कोशिश हो रही है. इस विवाद के बीच चुनाव आयोग ने साफ किया है कि वह पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ काम कर रहा है और आरोप लगाने वाले दलों को समय रहते उचित मंच पर आपत्तियां दर्ज करनी चाहिए थीं.