हिमाचल प्रदेश में कई स्थानों पर भारी बारिश के कारण चार लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग सहित कई सड़कें बंद कर दी गईं. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. बंद की गई 313 सड़कों में से 160 सड़कें मंडी जिले में तथा 102 सड़कें निकटवर्ती कुल्लू में हैं बिलासपुर में थापना के पास कीरतपुर-नेरचौक फोर-लेन राजमार्ग पर भूस्खलन के कारण यातायात बंद हो गया, जिससे लंबा जाम लग गया. गिरते पत्थरों की चपेट में आने से एक ट्रक भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. ट्रक का पिछला हिस्सा मलबे में दब गया. अधिकारियों के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग 305 (औट-सैंज रोड) भी प्रभावित है.
स्थानीय मौसम कार्यालय ने रविवार से मंगलवार तक राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में भारी बारिश की पीली चेतावनी जारी की है. राज्य के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश देखी गई, शुक्रवार शाम से 24 घंटों में नादौन में 58.6 मिमी बारिश हुई, इसके बाद नेरी में 47.5 मिमी, जोगिंदरनगर में 45 मिमी और जट्टन बैराज में 44.2 मिमी बारिश हुई. नगरोटा सूरियां में 39.2 मिमी, मंडी में 37 मिमी, कांगड़ा में 36.3 मिमी, धौलाकुआं में 35.5 मिमी, नैना देवी में 34.8 मिमी, पांवटा साहिब में 33 मिमी, घाघस में 26 मिमी और भट्टियाट में 22.2 मिमी वर्षा हुई.
20 जून से अब तक 152 लोग मारे गए, 37 लापता
मौसम विभाग ने बताया कि कांगड़ा, जोर, मुरारी देवी और पालमपुर में गरज के साथ बारिश हुई, जबकि कुकुमसेरी, सेओबाग और बजौरा में 37-54 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं. एसईओसी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 20 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से कम से कम 152 लोगों की मौत हो गई है और 37 लोग लापता हो गए हैं. राज्य में अब तक 75 बाढ़, 40 बादल फटने और 74 बड़े भूस्खलन हुए हैं, तथा कुल 97 बिजली आपूर्ति ट्रांसफार्मर और 51 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हुई हैं. एसईओसी ने कहा कि राज्य को वर्षाजनित घटनाओं में 2,347 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
कंबल और तिरपाल पर गुजारा कर रहे प्रभावित परिवार
शिमला जिले के गानवी क्षेत्र में अचानक आई बाढ़ से भारी तबाही मची है, तथा प्रभावित परिवार उन्हें मिल रही अल्प सहायता को लेकर चिंतित हैं. गानवी गांव में अचानक आई बाढ़ से पुलों और सड़कों को हुए नुकसान के नौ दिन बाद भी, ग्रामीणों की शिकायत है कि “हमें एक कंबल, एक तिरपाल और कुछ राशन पर गुजारा करना पड़ रहा है.” पूजा ने कहा, “प्रशासन ने हमें सिर्फ एक कंबल और एक तिरपाल दिया है.” उन्होंने बताया कि घर चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है और नौ दिन बाद भी वे अपना सामान बाहर नहीं निकाल पा रहे हैं.
स्थानीय लोगों ने अफसोस जताया कि सरकार और प्रशासन के अधिकारियों ने आपदा के तुरंत बाद बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन जमीनी हकीकत जस की तस बनी हुई है. उसने पूछा, “हम इस तरह कैसे जीवित रह सकते हैं?” एक अन्य महिला विमला देवी ने कहा कि उनके घर में सब कुछ जलमग्न हो गया है और “हमें एक कंबल, एक तिरपाल और कुछ राशन पर जीवित रहना पड़ रहा है.”
गानवी नदी ने अपना मार्ग बदलकर आवासीय क्षेत्रों की ओर रुख कर लिया है, जिससे बस्तियां जलमग्न हो गई हैं और परिवारों को अपने रिश्तेदारों और मित्रों के घरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है. स्थानीय निवासी रामस्वरूप खौश ने कहा, “13 अगस्त को आई बाढ़ के बाद सड़कें और पुल ध्वस्त हो गए तथा मकान और दुकानें बह गईं.” उन्होंने आगे कहा कि अधिकारियों ने क्षेत्र का दौरा किया, लेकिन नौ दिन बाद भी “कुछ नहीं बदला है.”