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अगर अलास्का में फेल हुई ट्रंप और पुतिन की बातचीत, तो भारत को भुगतने होंगे परिणाम- ट्रंप के मंत्री ने दी धमकी

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India US trade

अमेरिका ने धमकी दी है कि  यदि 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शांति वार्ता असफल होती है, तो भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए जा सकते हैं. यह वार्ता यूक्रेन में पिछले तीन वर्षों से जारी युद्ध को रोकने की एक महत्वपूर्ण कोशिश मानी जा रही है. इससे पहले, अमेरिका ने भारत पर 50% तक का टैरिफ लागू करने की घोषणा की थी, जो 27 अगस्त से प्रभावी होने वाला है. अब इस स्थिति में और भी वृद्धि की संभावना है, जिससे भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव और बढ़ सकता है.

 अमेरिकी वित्त मंत्री की धमकी

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि भारत पर पहले से ही रूसी तेल खरीदने को लेकर सेकेंडरी टैरिफ लगाए गए हैं, लेकिन अगर ट्रंप-पुतिन वार्ता विफल होती है, तो इन टैरिफ को और बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय अलास्का में होने वाली बैठक के परिणाम पर निर्भर करेगा. अगर वार्ता सफल नहीं हुई, तो भारत सहित उन देशों पर टैरिफ और पाबंदियां बढ़ सकती हैं, जो रूस से व्यापार कर रहे हैं.

भारत पर फंडिंग का आरोप

ट्रंप ने हाल ही में भारत पर रूस से तेल और हथियार खरीदने को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने दावा किया था कि भारत इस तरह से यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से फंड कर रहा है. इसी कारण अमेरिका ने भारत पर पहले से लागू 25% टैरिफ के अलावा 25% की अतिरिक्त पेनल्टी भी लागू कर दी है. ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर रूस ने शांति समझौते को अस्वीकार किया, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे. अमेरिका का यह रुख भारत को आर्थिक मोर्चे पर नुकसान पहुँचा सकता है.

‘देशहित सर्वोपरि’

भारत सरकार ने अमेरिका के आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि वह एक ऊर्जा-निर्भर राष्ट्र है और उसे सस्ता कच्चा तेल खरीदना ज़रूरी है, ताकि देश की आर्थिक स्थिरता बनी रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर अमेरिका को जवाब देते हुए कहा कि हमारे लिए देशवासियों की भलाई प्राथमिकता है, और हम उन्हें महंगाई से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे. भारत का कहना है कि रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदना उसकी जरूरत है, खासकर तब जब वैश्विक बाजार में ऊर्जा की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं.

अमेरिका की चिंता का कारण

2024 में भारत द्वारा आयातित कुल कच्चे तेल में रूसी तेल का हिस्सा 35-40% रहा, जो 2021 में सिर्फ 3% था. यह वृद्धि अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन गई है. वाशिंगटन का मानना है कि यह रूस की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर युद्ध को लंबा खींचने में मदद कर रहा है.

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