Trump warning to Hamas : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा संकट को लेकर हमास को बेहद सख्त चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि यदि हमास ने अमेरिकी शांति योजना को स्वीकार नहीं किया और ग़ाज़ा पर अपना नियंत्रण नहीं छोड़ा, तो उसे “complete obliteration” यानी पूर्ण विनाश का सामना करना पड़ेगा. यह अल्टीमेटम उन्होंने रविवार शाम 6 बजे (वॉशिंगटन समयानुसार) तक दिया है, जिससे ठीक 12 घंटे पहले उनका यह बयान आया.
नेतन्याहू, अमेरिका की शांति योजना के साथ
ट्रंप ने यह बात CNN को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कही, जिसमें उन्होंने पुष्टि की कि इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उनकी शांति योजना का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, “Yes on Bibi,” यानी नेतन्याहू अमेरिका की शांति योजना के साथ हैं. ट्रंप ने यह भी कहा कि वह जल्द ही यह जानने की कोशिश करेंगे कि क्या हमास वाकई शांति के लिए प्रतिबद्ध है या नहीं.
नागरिक को जबरदस्ती बाहर नहीं निकाला जाएगा
इस पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में ट्रंप की 20 सूत्रीय शांति योजना है, जिसे उन्होंने शुक्रवार को सार्वजनिक किया था. इस योजना के तहत ग़ाज़ा में तत्काल युद्धविराम होगा और एक अंतरिम प्रशासनिक बोर्ड गठित किया जाएगा. इस बोर्ड की अध्यक्षता स्वयं डोनाल्ड ट्रंप करेंगे, जिसमें पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर जैसे वैश्विक नेता भी शामिल होंगे. योजना में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ग़ाज़ा के किसी भी नागरिक को जबरदस्ती बाहर नहीं निकाला जाएगा और सभी पक्षों को शांति के लिए तैयार रहना होगा.
बंधकों को रिहा करने का अंतिम मौका
ट्रंप ने हमास को यह भी कहा कि यह उसका अंतिम मौका है कि वह बंधकों को रिहा करे, संघर्षविराम को माने और लड़ाई समाप्त करे. उन्होंने दो टूक कहा, “There will be peace one way or the other,” यानी शांति किसी भी हाल में लाई जाएगी. उनका यह बयान इशारा करता है कि यदि हमास ने समझौते से इनकार किया, तो अमेरिकी समर्थन से इज़राइल की ओर से बड़ा सैन्य हमला हो सकता है.
अमेरिका और इस्राइल की मंशा साफ
इस बीच, व्हाइट हाउस ने इस शांति योजना को ग़ाज़ा की “postwar governance roadmap” बताया है, जिसमें युद्ध के बाद ग़ाज़ा की प्रशासनिक स्थिति और पुनर्निर्माण को लेकर दिशा-निर्देश शामिल हैं. प्रधानमंत्री नेतन्याहू पहले ही इस योजना को स्वीकार कर चुके हैं, जिससे अमेरिका और इस्राइल की मंशा साफ हो जाती है कि वे अब किसी भी हाल में इस लंबे युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं.
इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ होता है कि ग़ाज़ा संकट अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है. यदि हमास ट्रंप की शांति योजना को नहीं मानता, तो आने वाले समय में बड़े सैन्य अभियान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.