जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर दिल्लीवाली, एनसीआर में भी AQI ने तोड़ा दम

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दिवाली के कुछ दिन बाद भी दिल्ली-एनसीआर की हवा में ज़हर घुला हुआ है. राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है और 17वें दिन भी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बना हुआ है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार को आनंद विहार में AQI 409, वजीरपुर में 394, अशोक विहार में 385, आईटीओ पर 365 और आईजीआई एयरपोर्ट पर 316 दर्ज किया गया.

मामूली सुधार लेकिन राहत नहीं

विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की दिशा में थोड़ा बदलाव और गति में मामूली सुधार से कुछ राहत जरूर मिली है, लेकिन स्थिति अब भी चिंताजनक बनी हुई है. हवा की रफ्तार 8 किलोमीटर प्रति घंटे से कम होने पर प्रदूषक तत्व ऊपर नहीं उठ पाते, जिससे हवा में स्मॉग की मोटी परत बन जाती है. यही वजह है कि सुबह और शाम के समय दृश्यता घट जाती है और लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है.

प्रदूषण घटाने के लिए क्लाउड सीडिंग का प्रयोग

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए तकनीकी उपायों की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. हाल ही में मयूर विहार और बुराड़ी जैसे क्षेत्रों में क्लाउड सीडिंग का परीक्षण किया गया. सरकार का दावा है कि इस प्रयोग से पीएम10 के स्तर में 41.9% तक की कमी आई है और वायु गुणवत्ता में स्पष्ट सुधार देखा गया है.

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि बादलों में नमी कम होने के बावजूद क्लाउड सीडिंग सफल रहा. यह सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण की हमारी बहुआयामी रणनीति का हिस्सा है. सड़क सफाई, वाहन उत्सर्जन पर नियंत्रण और अपशिष्ट प्रबंधन पर भी समानांतर रूप से काम जारी है.

एयर प्यूरीफायर की बढ़ती मांग

दिवाली के बाद से ही दिल्ली-एनसीआर में एयर प्यूरीफायर की बिक्री में भारी बढ़ोतरी हुई है. इलेक्ट्रॉनिक्स बाजारों में इन उपकरणों की मांग इतनी बढ़ गई है कि कई दुकानों में स्टॉक खत्म होने की स्थिति बन गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि अब साफ हवा में सांस लेना दिल्लीवासियों के लिए एक नई लक्ज़री बन गया है.

पराली जलाने से फिर बढ़ा प्रदूषण

दिल्ली की बिगड़ती हवा के पीछे एक बड़ी वजह पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं भी हैं. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को इस सीजन की सबसे ज़्यादा 283 घटनाएं दर्ज की गईं. 15 सितंबर से अब तक कुल 1,216 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. तरनतारन, अमृतसर, संगरूर और फिरोजपुर जैसे जिलों में किसानों ने सरकार की अपील के बावजूद खेतों में आग लगाई, जिससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ गया.

कब तक मिलेगी राहत?

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक हवा की गति और दिशा में बड़ा बदलाव नहीं होता या बारिश नहीं होती, तब तक दिल्ली को प्रदूषण से राहत मिलना मुश्किल है. आने वाले कुछ दिनों में AQI के ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में बने रहने की संभावना है. लोगों को सलाह दी गई है कि वे सुबह-शाम के समय खुले में व्यायाम करने से बचें, मास्क पहनें और घरों के अंदर एयर प्यूरीफायर या पौधों का उपयोग करें ताकि प्रदूषण के असर को कम किया जा सके.

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