समाजवादी पार्टी से निष्कासन के बाद CM योगी से मिली पूजा पाल

पूर्व सपा विधायक पूजा पाल ने योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर राजनीतिक हलचल मचा दी है. सपा ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते निष्कासित किया, जबकि पूजा पाल ने योगी सरकार की कानून व्यवस्था की सराहना करते हुए न्याय मिलने की बात कही. भाजपा नेताओं ने सपा पर महिला विरोधी होने का आरोप लगाया. यह घटनाक्रम यूपी की आगामी राजनीति को प्रभावित कर सकता है.

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Pooja Pal meets Yogi Adityanath
Pooja Pal meets Yogi Adityanath

Pooja Pal meets Yogi Adityanath : पूर्व समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक पूजा पाल ने 16 अगस्त को लखनऊ स्थित मुख्यमंत्री आवास पर योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. यह मुलाकात तब हुई जब एक दिन पहले ही सपा ने उन्हें “पार्टी विरोधी गतिविधियों” के चलते निष्कासित कर दिया था. उनका योगी सरकार की कानून-व्यवस्था की खुलेआम सराहना करना सपा को नागवार गुज़रा, जिससे यह निष्कासन हुआ.

सपा ने लगाया “अनुशासनहीनता” का आरोप
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पूजा पाल पर बार-बार चेतावनी के बावजूद पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से पार्टी से बाहर कर दिया. सपा के इस फैसले के बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है. कई मंत्रियों ने इस निर्णय की आलोचना करते हुए सपा को “महिलाओं विरोधी” करार दिया.
पूजा ने योगी सरकार की फिर की तारीफ
अपनी निष्कासन पर प्रतिक्रिया देते हुए पूजा पाल ने कहा कि उन्होंने कोई पार्टी विरोधी काम नहीं किया, बल्कि एक सच्चाई को स्वीकार किया. उन्होंने बताया कि उनके पति, बीएसपी विधायक राजू पाल की हत्या 2005 में माफिया अतीक अहमद ने की थी और वर्षों तक उन्हें न्याय नहीं मिला. लेकिन योगी सरकार ने सख्त कदम उठाकर न्याय दिलाया. उन्होंने सीएम योगी को महिलाओं का रक्षक बताते हुए उनके काम की सराहना की.

भाजपा मंत्रियों का समर्थन, सपा पर हमला
यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, मंत्री ओपी राजभर और बेबी रानी मौर्य ने पूजा पाल के समर्थन में बयान दिए. उन्होंने कहा कि पूजा पाल का दोष केवल इतना था कि उन्होंने सच्चाई स्वीकार की. मौर्य ने सपा पर महिलाओं का अपमान करने और अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया, वहीं राजभर ने कहा कि सपा सच्चाई सहन नहीं कर सकती.

भविष्य की राजनीति पर असर?
सीएम योगी से पूजा पाल की मुलाकात को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. माना जा रहा है कि यह कदम सपा के भीतर दरार को उजागर करता है और आगामी 2027 विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरणों को बदल सकता है. हालांकि अभी पूजा पाल के भाजपा में शामिल होने की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन उनकी भाषा और झुकाव इस ओर संकेत दे रहे हैं.

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