डोनाल्ड ट्रंप के विवादित निर्णयों ने भारत-अमेरिका के संबंधों पर भारी असर डाला है. 50 फीसदी टैरिफ लगाने से लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच बार-बार सीजफायर करवाने के दावों तक, ट्रंप के कदमों को भारत के हित में नहीं माना जा रहा. विश्लेषकों का मानना है कि इन निर्णयों की वजह से भारत ने चीन के साथ अपने तात्कालिक संबंधों को फिर से सहेजना शुरू कर दिया है. ग्लोबल पॉलिटिक्स के जानकार कहते हैं कि ट्रंप की इन गलतियों का खामियाजा अमेरिका को भुगतना पड़ सकता है और द्विपक्षीय रिश्तों पर इसका गहरा असर दिख सकता है. इसी परिप्रेक्ष्य में भारत के ब्रिक्स देशों के करीब आने और चीन के साथ द्विपक्षीय संपर्कों पर नया जोर देने के संकेत मिल रहे हैं.
ब्रिक्स की ओर झुकाव और चीन पर फोकस
ट्रंप के इन्हीं फैसलों के चलते भारत अब ब्रिक्स देशों के करीब आता दिखाई दे रहा है. यह रणनीति साफ तौर पर बताती है कि अब मोदी सरकार चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर विशेष ध्यान देगी. 2020 में गलवान घाटी की झड़प के बाद जहां रिश्ते निचले स्तर पर पहुंच गए थे, वहीं अब इनके सुधार की तस्वीर उभर रही है.
भारत-चीन की तैयारी
संबंध सुधारने की दिशा में अगला कदम चीन के साथ सीधी फ्लाइट सेवा शुरू करना बताया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने भारतीय एयरलाइंस को चीन के लिए तत्काल उड़ानें तैयार रखने के निर्देश दिए हैं. कोविड-19 के बाद दोनों देशों के बीच यात्री उड़ानें निलंबित थीं, जिसके चलते यात्रियों को हांगकांग या सिंगापुर होकर सफर करना पड़ता था.
संभावित शिखर मुलाकात और औपचारिक ऐलान
रिपोर्ट में यह भी संकेत है कि इस समझौते की औपचारिक घोषणा तब हो सकती है, जब पीएम मोदी सात साल बाद चीन की यात्रा पर जाएंगे और 31 अगस्त को तियानजिन में होने जा ही शंघाई सहयोग संगठन की मीटिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलेंगे.
चीनी विशेषज्ञ का आकलन
बीजिंग के थिंक टैंक सेंटर फॉर चाइना एंड ग्लोबलाइजेशन के चीफ हेनरी वांग के मुताबिक भारत और चीन के बीच संबंध बेहतर हो रहे हैं. उनके अनुसार, ग्लोबल साउथ के नेताओं के रूप में भारत और चीन को एक-दूसरे के साथ बात करनी होगी. साथ ही हेनरी वांग ने कहा कि ट्रम्प के टैरिफ युद्ध ने भारत को यह एहसास दिलाया है कि उन्हें रणनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखनी होगी.
ट्रंप की नीति पर तीखी आलोचना
विशेषज्ञों का तर्क है कि 50% टैरिफ का फैसला और क्षेत्रीय मामलों में दखल जैसी पहलें-भारत के लिहाज से प्रतिकूल हैं, और इन्हीं कारणों से नई दिल्ली ने बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मंचों पर अपनी रणनीति का संतुलन फिर साधना शुरू किया है.