महाराष्ट्र में लंबे इंतजार के बाद हुए नगर निकाय चुनावों के शुरुआती रुझानों ने राज्य की राजनीति की दिशा को एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है. 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों में हुए चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने विपक्ष पर निर्णायक बढ़त बना ली है. सुबह करीब 11 बजे तक आए रुझानों में सत्ताधारी गठबंधन का दबदबा साफ नजर आया.
महायुति को स्पष्ट बढ़त
प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी 133 नगर निकायों में आगे चल रही है. वहीं उसके सहयोगी दल शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) क्रमशः 46 और 34 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं. कुल मिलाकर महायुति गठबंधन राज्य के शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहा है.
विपक्ष का प्रदर्शन कमजोर
अगर विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस 29 स्थानीय निकायों में आगे चल रही है. शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) केवल छह नगर निकायों में बढ़त बना पाई है, जबकि एनसीपी (शरद पवार गुट) आठ सीटों पर आगे है. यह आंकड़े विपक्षी दलों की सीमित पकड़ और चुनावी रणनीति की कमजोरी को उजागर करते हैं.
एक दशक बाद हुए चुनाव
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के ये चुनाव करीब एक दशक के अंतराल के बाद हो रहे हैं. ऐसे में इन नतीजों को 2024 के विधानसभा चुनावों के बाद जनता के मूड का अहम संकेतक माना जा रहा है. खासकर अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में किस राजनीतिक दल की पकड़ मजबूत है, यह इन नतीजों से काफी हद तक स्पष्ट हो रहा है.
सरकार विरोधी मुद्दों के बावजूद बढ़त
इन चुनावों से पहले माना जा रहा था कि महायुति को कड़ी चुनौती मिल सकती है. राज्य में कृषि संकट, किसानों की आर्थिक परेशानियां, महिलाओं के लिए घोषित कल्याणकारी योजनाओं का आंशिक भुगतान और ग्रामीण इलाकों में असंतोष जैसे मुद्दे विपक्ष के लिए बड़ा हथियार बन सकते थे. बावजूद इसके, नतीजों में सत्ताधारी गठबंधन की बढ़त यह संकेत देती है कि विपक्ष इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से भुना नहीं सका.
विपक्षी दलों में समन्वय की कमी
चुनावी प्रचार के दौरान विपक्षी खेमे में एकजुटता और स्पष्ट रणनीति की कमी साफ दिखाई दी. कांग्रेस ने विदर्भ और मराठवाड़ा जैसे इलाकों में जोरदार प्रचार जरूर किया, लेकिन शिवसेना (यूबीटी) के नेता जमीनी स्तर पर ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आए. वहीं एनसीपी (एसपी) के नेता भी अपने-अपने क्षेत्रों तक सीमित रहे. इसके उलट, महायुति गठबंधन ने पूरी ताकत झोंक दी.
सत्ताधारी गठबंधन का आक्रामक प्रचार
महायुति के प्रचार अभियान में मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों ने खुद मोर्चा संभाला. उन्होंने दूर-दराज के इलाकों तक जाकर रैलियां कीं और कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया. इसका सीधा असर चुनावी माहौल और नतीजों पर पड़ता नजर आ रहा है.
गठबंधन के भीतर तनाव के बावजूद असर
हालांकि चुनाव से पहले महायुति के भीतर भी खींचतान सामने आई थी. शिवसेना के कई मंत्रियों ने मंत्रिमंडल बैठकों से दूरी बनाई और भाजपा पर दबाव बनाने के आरोप लगाए. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी सार्वजनिक मंच से गठबंधन धर्म की बात उठाई थी. इसके बावजूद, चुनावी मैदान में यह आंतरिक तनाव वोटों पर ज्यादा असर नहीं डाल सका.
मुंबई महानगरपालिका चुनावों पर नजर
इन नतीजों का असर अगले महीने होने वाले बहुचर्चित बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों पर भी पड़ सकता है. स्थानीय निकाय चुनावों में मिली बढ़त से महायुति का मनोबल ऊंचा है, जबकि विपक्ष के लिए यह आत्ममंथन का समय बनता जा रहा है.












