पंजाब : पंजाब की धरती हमेशा से प्रेम, सौहार्द और भाईचारे की प्रतीक रही है. यहाँ सिख, हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और अन्य सभी धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं, एक-दूसरे की खुशियों और दुखों में साझेदार बनते हैं. जब दुनिया में धर्म और जाति के नाम पर दीवारें खड़ी हो रही हैं, तब पंजाब की मान सरकार ने यह संदेश दिया है कि “सभी धर्म समान हैं, इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है.” मुख्यमंत्री भगवंत मान की नीतियों ने साबित किया है कि एक सच्ची सरकार वही होती है जो हर नागरिक को समान दृष्टि से देखे, चाहे उसका धर्म कोई भी हो.
मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना समानता की मिसाल
आपको बता दें कि पंजाब सरकार की “मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना” धार्मिक एकता की सबसे सुंदर झलक प्रस्तुत करती है. 6 नवंबर 2023 को शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य सभी धर्मों के बुजुर्गों को अपने-अपने पवित्र स्थलों की निःशुल्क यात्रा का अवसर देना है. इस यात्रा में सिख श्रद्धालुओं के लिए अमृतसर साहिब, हेमकुंट साहिब और पटना साहिब, हिंदू श्रद्धालुओं के लिए हरिद्वार, मथुरा और वैष्णो देवी, जबकि मुस्लिम श्रद्धालुओं के लिए अजमेर शरीफ दरगाह शामिल हैं. यह पहल बताती है कि मान सरकार धर्म नहीं देखती, बल्कि श्रद्धा और भावना को महत्व देती है.
मुख्यमंत्री ने इस योजना के दूसरे चरण की शुरुआत धूरी से की, जिसके तहत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से 16,000 श्रद्धालु शामिल होंगे. सरकार ने इस योजना के लिए 100 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है, जिससे हर नागरिक अपने विश्वास के अनुरूप यात्रा कर सके.
स्वास्थ्य सेवाएं, सबके लिए समान अधिकार
मान सरकार ने पंजाब में स्वास्थ्य सेवाओं को सभी नागरिकों के लिए सुलभ और समान बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए हैं. “आम आदमी क्लिनिक” इस नीति का सबसे मजबूत उदाहरण है, जहाँ किसी से धर्म, जाति या वर्ग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता. वर्तमान में 881 क्लिनिक (565 ग्रामीण और 316 शहरी) कार्यरत हैं और 236 नए क्लिनिक शुरू होने से इनकी संख्या 1,117 हो जाएगी. ये क्लिनिक “सबका इलाज, बिना भेदभाव के” के सिद्धांत पर कार्य करते हैं. इसके साथ ही, मान सरकार ने हर परिवार को 10 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा देने की घोषणा की है जो केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की पहचान है.
विधवाओं और निराश्रित महिलाओं के लिए आर्थिक सशक्तिकरण
मान सरकार ने महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अब तक 693 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता जारी की है, जिससे 6 लाख 65 हजार से अधिक विधवाएँ और बेसहारा महिलाएँ लाभान्वित हो रही हैं. यह सहायता किसी धर्म या जाति के आधार पर नहीं, बल्कि जरूरत के आधार पर दी जा रही है. इससे महिलाओं को न केवल आर्थिक सहारा मिला है, बल्कि उन्हें आत्मसम्मान और आत्मविश्वास भी प्राप्त हुआ है.
सेवा और समानता का प्रतीक
भगवंत मान सरकार की सोच ने पंजाब को एक नई पहचान दी है जहाँ धर्म नहीं, बल्कि मानवता सर्वोपरि है. सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम, जनसेवा योजनाएँ और सामाजिक अभियानों ने राज्य में एकता और भाईचारे की भावना को और प्रबल किया है. आज पंजाब वह राज्य बन गया है जहाँ कोई यह नहीं पूछता कि व्यक्ति किस धर्म से है, बल्कि यह देखा जाता है कि वह इंसान कितना अच्छा है. मान सरकार की नीतियाँ यह साबित करती हैं कि जब सरकार सबके धर्म की इज़्ज़त करती है, तो समाज में नफरत नहीं, प्रेम और विश्वास बढ़ता है.
“सेवा ही सबसे बड़ा धर्म”
पंजाब की मान सरकार ने यह साबित कर दिया है कि राजनीति का असली उद्देश्य सत्ता नहीं, सेवा है. चाहे तीर्थ यात्रा योजना हो, स्वास्थ्य बीमा योजना या महिलाओं के लिए आर्थिक सहयोग हर कदम इंसानियत की दिशा में उठाया गया है. भगवंत मान का यह दृष्टिकोण अब पूरे भारत के लिए एक प्रेरणा बन चुका है. उनकी सरकार का संदेश साफ है “जब सरकार सबका ख्याल रखे, तो दीवारें नहीं, दिलों के बीच पुल बनते हैं.” पंजाब आज वास्तव में भारत की एकता और समानता की आत्मा बन चुका है.











