भारत में रह रहे सभी मुस्लिमों के पूर्वज सनातनी, मोहन भागवत के बयान ने मचाई हलचल

0
29

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान ऐसा बयान दिया, जिसने फिर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस को तेज कर दिया. उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाला कोई भी व्यक्ति अहिंदू नहीं है, क्योंकि यहां के सभी लोग अपनी सभ्यता, संस्कृति और पूर्वजों के आधार पर हिंदू मूल से जुड़े हुए हैं. उनके इस बयान को RSS की वैचारिक लाइन का विस्तार माना जा रहा है.

हिंदू सभ्यता से जुड़ा हर भारतीय

भागवत ने कहा कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म को मानता हो, उसकी सांस्कृतिक जड़ें हिंदू सभ्यता से निकली हैं. उन्होंने दावा किया कि मुसलमान और ईसाई भी उसी सभ्यता का हिस्सा हैं. उनके पूर्वज भी हिंदू थे. उनके अनुसार अहिंदू जैसा कोई शब्द भारत की मिट्टी पर लागू नहीं होता. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ शक्तियों ने मुस्लिमों व ईसाइयों को उनकी जड़ों से दूर करने की कोशिश की, लेकिन वास्तविकता यही है कि सभी भारतीय एक ही सांस्कृतिक आधार से जुड़े हैं.

सत्ता नहीं, समाज का संगठन

कार्यक्रम में बोलते हुए भागवत ने यह भी कहा कि RSS का लक्ष्य सत्ता प्राप्त करना कभी नहीं रहा. उनका कहना था कि संघ का असली उद्देश्य समाज को एकजुट करना और भारत माता की प्रतिष्ठा बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि जब लाखों स्वयंसेवक एक साथ काम करते हैं, तो उसका मकसद राजनीतिक लाभ नहीं बल्कि सामाजिक एकता होता है.

उन्होंने यह भी जोड़ा कि कभी RSS के उद्देश्यों को लेकर शंकाएं थीं, लेकिन अब लोग संघ के कार्य और भावनाओं को समझने लगे हैं. कार्यक्रम में RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद थे.

भारत की पहचान 

भागवत ने अपने भाषण में भारत के राष्ट्र बनने की ऐतिहासिक प्रक्रिया पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भारत को राष्ट्र नहीं बनाया, बल्कि भारत प्राचीन काल से ही एक राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में है. उन्होंने कहा कि हर देश की एक संस्कृति होती है, और भारत की संस्कृति हिंदू है. भागवत के अनुसार चाहे भारतीय खुद को किसी भी धर्म या पहचान से जोड़ लें, लेकिन उनकी मूल पहचान हिंदू संस्कृति से ही होती है.

उनका कहना था कि भारत हिंदू राष्ट्र है और संविधान भी इसका विरोध नहीं करता. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और भारत को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता और सनातन धर्म की उन्नति को ही भारत की उन्नति बताया.

भारत के लिए जिम्मेदार नागरिक का अर्थ

भागवत ने हिंदू शब्द का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा कि इसका धार्मिक संदर्भ से परे एक व्यापक सांस्कृतिक मतलब है. उनके मुताबिक हिंदू का अर्थ है भारत के प्रति जिम्मेदारी निभाने वाला नागरिक. यही वजह है कि भारत में किसी को भी अहिंदू नहीं कहा जा सकता.

भागवत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में पहचान, धर्म और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को लेकर चर्चाएं लगातार बढ़ रही हैं. उनके वक्तव्य को RSS के व्यापक वैचारिक दृष्टिकोण के तौर पर देखा जा रहा है, जो भारतीय समाज को सांस्कृतिक रूप से एकजुट करने की बात करता है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here