केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) जनता दल (यूनाइटेड) प्रमुख नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. हालांकि, मुख्यमंत्री पद पर कौन होगा, इसका निर्णय चुनाव परिणाम आने के बाद नवनिर्वाचित विधायकों की पसंद के आधार पर होगा.
नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा की प्रशंसा
अमित शाह ने नीतीश कुमार को भारतीय समाजवादी राजनीति का एक महत्वपूर्ण चेहरा बताया. उन्होंने कहा कि नीतीश ने लंबे समय तक कांग्रेस के विरुद्ध आवाज उठाई है और आपातकाल के दौरान भी उन्होंने साहस दिखाया. शाह ने कहा कि नीतीश कुमार जेपी आंदोलन के प्रमुख नेता रहे, जो कांग्रेस सरकार के खिलाफ खड़ा हुआ था. उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार ही इस बार एनडीए का नेतृत्व कर रहे हैं और चुनाव अभियान भी उनका ही नेतृत्व कर रहा है.
मुख्यमंत्री पद को लेकर गठबंधन की प्रक्रिया
जब शाह से पूछा गया कि क्या नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे, तो उन्होंने कहा कि गठबंधन की सभी पार्टियों के नवनिर्वाचित विधायक पहले अपने-अपने नेताओं का चुनाव करेंगे. इसके बाद सभी नेता मिलकर तय करेंगे कि मुख्यमंत्री पद किसे मिलना चाहिए. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्णय पूरी तरह से विधायकों की सहमति और पसंद पर निर्भर होगा.
भाजपा और जदयू के बीच सहयोग
अमित शाह ने 2020 के चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि उस समय भाजपा के पास जद (यू) से ज्यादा सीटें थीं, लेकिन भाजपा ने नीतीश कुमार का समर्थन किया और उन्हें मुख्यमंत्री पद पर भेजा. शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस फैसले में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा, “जब हमने ज्यादा सीटें जीतीं, तब नीतीश कुमार ने हमें कहा कि भाजपा को सरकार चलानी चाहिए, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें कहा कि वे ही मुख्यमंत्री बने.”
चुनाव की तारीखें
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में आयोजित होंगे, जिसमें पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा. मतगणना 14 नवंबर को होगी. एनडीए ने सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतार दिया है. भाजपा और जदयू समान रूप से 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) 29 सीटों पर चुनावी मैदान में हैं, जबकि हम और रालोद छह-छह सीटों पर उम्मीदवार खड़े करेंगे.













