Swami Chaitanyanand Saraswati : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने यौन शोषण और आर्थिक धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किए गए स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. आगरा से गिरफ्तारी के बाद उन्हें दिल्ली लाकर मेडिकल जांच के लिए सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया, जहां से फिर कोर्ट में पेश किया गया.
छात्राओं से शोषण और मानसिक दबाव
दरअसल, स्वामी चैतन्यानंद पर आरोप है कि उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं से न केवल यौन उत्पीड़न किया, बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें नियंत्रण में रखने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाईं. छात्राओं से मोबाइल फोन और मूल शैक्षणिक प्रमाणपत्र जब्त कर लिए जाते थे ताकि वे बाहरी दुनिया से कट जाएं और उन पर दबाव बना रहे. इसके अलावा, छात्राओं को कॉलेज से निष्कासित करने और फेल करने की धमकी भी दी गई. अब तक 16 छात्राओं ने पुलिस को दिए अपने बयानों में यौन शोषण की पुष्टि की है, जबकि 30 छात्राओं ने एक वर्चुअल मीटिंग में उत्पीड़न की शिकायत की थी.
करोड़ों की आर्थिक गड़बड़ी
चैतन्यानंद द्वारा बनाए गए फर्जी ट्रस्ट ‘श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट’ के माध्यम से भारी मात्रा में धन की हेराफेरी की गई. पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि उन्होंने 8 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को 18 बैंक खातों और 28 सावधि जमाओं में रखा था. ये सभी खाते फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए खोले गए थे, ताकि धन का स्रोत और लेनदेन छिपाया जा सके. इसके अलावा, एक संस्थागत भूमि को ट्रस्ट में दिखाकर बिना अनुमति उप-पट्टे पर भी दे दिया गया, जो दक्षिणाम्नाय श्री शारदा पीठम, श्रृंगेरी के लिए निर्धारित थी.
कोर्ट की टिप्पणी और हिरासत का कारण
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में बताया कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और चैतन्यानंद को अल्मोड़ा, गुड़गांव, फरीदाबाद और दिल्ली के कई स्थानों पर ले जाकर पूछताछ करनी है. कोर्ट ने इस आधार पर उनकी अग्रिम ज़मानत याचिका खारिज कर दी और कहा कि इतने गंभीर अपराधों के मामले में हिरासत में पूछताछ अनिवार्य है.
किस तरह खुला मामला?
इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब एक भारतीय वायुसेना अधिकारी ने निजी संस्थान के प्रशासन को शिकायत भेजी, जिसके बाद 4 अगस्त 2025 को केस दर्ज किया गया. एक छात्रा ने मार्च 2025 में यह कहते हुए शिकायत दी थी कि 60,000 रुपये दान देने के बावजूद संस्थान द्वारा उससे और पैसों की मांग की गई.
अपने करीबी को उच्च पदों पर बैठाया
पूर्व अध्यक्ष ने बताया कि चैतन्यानंद ने अपने करीबी और नाकाबिल लोगों को उच्च पदों पर बैठाया ताकि संस्थान पर उसका नियंत्रण बना रहे. स्वामी चैतन्यानंद का मामला न केवल यौन उत्पीड़न बल्कि संगठित आर्थिक अपराध और संस्थागत सत्ता के दुरुपयोग का एक चिंताजनक उदाहरण है. यह घटना शिक्षा और धार्मिक संस्थानों में पारदर्शिता, निगरानी और जवाबदेही की जरूरत को रेखांकित करती है.