H-1B visa: अमेरिका में काम करने और पढ़ाई करने के इच्छुक भारतीयों के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. सिर्फ H-1B वीजा की कमी ही नहीं, बल्कि H4, F1, L1 और L2 जैसे जरूरी वीजा में भी भारी गिरावट देखी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 3 सालों में भारत को इन वीजा श्रेणियों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जबकि चीन, नेपाल और वियतनाम जैसे देशों को फायदा मिला है.
इस गिरावट का असर सिर्फ नौकरीपेशा लोगों पर ही नहीं पड़ा, बल्कि उनके परिवार और छात्रों पर भी दिखाई दे रहा है. इसके साथ ही, अमेरिकी सरकार की नई योजना, जिसमें H-1B वीजा के लिए सालाना $100,000 का शुल्क लगाने का प्रस्ताव है, भारतीय उम्मीदवारों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है.
H4 वीजा में 34% की गिरावट
H4 वीजा, जो H-1B वीजा धारकों के परिवार के लिए होता है, इस साल मई तक केवल 46,982 ही जारी किए गए, जबकि 2023 में यह संख्या 71,130 थी. यानी करीब 34% की भारी कमी आई है. वहीं, मेक्सिको ने अपने H4 वीजा दोगुना कर दिए हैं, और घाना, दक्षिण अफ्रीका, फिलीपींस भी तेजी से बढ़े हैं. चीन ने भी इस वीजा में 10.7% की बढ़ोतरी दर्ज की है.
छात्रों के लिए F1 वीजा में भारी नुकसान
भारत के छात्रों के लिए F1 वीजा का हाल और भी चिंताजनक है. 2023 में भारत को लगभग 17,800 F1 वीजा मिले थे, जो अब घटकर केवल 11,484 रह गए हैं, यानी करीब 35% की कमी. वहीं, चीन को लगभग 10% का बढ़ावा मिला है, वियतनाम को 40% से ज्यादा और नेपाल को 260% से ज्यादा की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. अफ्रीका के जिम्बाब्वे और केन्या जैसे देशों में भी तीन अंकों की बढ़ोतरी देखी गई है.
L1 और L2 वीजा में भारत को बड़ा नुकसान
L1 वीजा, जो कंपनियों के अंदर ट्रांसफर के लिए होता है, उसमें भारत को करीब 28% की कमी देखनी पड़ी है. वहीं, L2 वीजा में लगभग 38% की गिरावट हुई है. इसके विपरीत, चीन ने L1 वीजा में 64% और L2 वीजा में 43% की जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की. इसके अलावा, इजराइल, वियतनाम, मलेशिया और ब्राजील को भी L1 और L2 वीजा में अच्छा खासा फायदा मिला है.
दक्षिण एशिया में भारत क्यों पीछे रह गया?
दक्षिण एशिया के बाकी देशों की तुलना में भारत सबसे ज्यादा नुकसान झेल रहा है. नेपाल ने F1 वीजा में 262% और L2 वीजा में 113% की जबरदस्त बढ़ोतरी की है. बांग्लादेश ने H4 वीजा में 28% और F1 वीजा में 5% की मामूली बढ़ोतरी देखी है. पाकिस्तान ने F1 वीजा लगभग दोगुना कर दिया और H4 वीजा में 40% की बढ़ोतरी दर्ज की. श्रीलंका में हालात थोड़े मिले-जुले हैं, जहां H4 वीजा बढ़ा, लेकिन छात्र वीजा घटा.
H-1B वीजा में गिरावट और नई चुनौतियां
H-1B वीजा की संख्या पिछले दो साल में 37% से ज्यादा घट चुकी है. इसका असर ना केवल नौकरीपेशा लोगों पर पड़ा है, बल्कि उनके परिवार और शिक्षा के अवसरों पर भी पड़ा है. ऊपर से अमेरिकी सरकार की नई योजना, जिसमें H-1B वीजा के लिए सालाना $100,000 का शुल्क लगाने का प्रस्ताव है, भारतीय उम्मीदवारों की उम्मीदों पर और बड़ा बोझ बन गया है.