आवारा कुत्तों पर देशभर में चल रही बहस के बीच कर्नाटक से एक चौंकाने वाला बयान सामने आया है. विधान परिषद सदस्य एसएल भोजेगौड़ा ने सदन में कहा कि अपने नगर परिषद कार्यकाल के दौरान उन्होंने 2,500 कुत्तों को मारकर दफना दिया था. उनका तर्क था कि यह कदम लोगों की सुरक्षा और पर्यावरण दोनों के लिए ज़रूरी था. हालांकि, उनके इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नाराज़गी की लहर पैदा कर दी है.
गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि देशभर में सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों के भीतर पकड़कर शेल्टर होम में रखा जाए. इसी मुद्दे पर कर्नाटक विधान परिषद में चर्चा के दौरान भोजेगौड़ा ने यह विवादित दावा किया. उन्होंने कहा कि जब वे सिटी म्यूनिसिपल काउंसिल के चेयरपर्सन थे, तब 2,500 कुत्तों को मारकर पेड़ों के नीचे दफनाया गया, ताकि उनका शरीर खाद में बदल सके.
सरकार की लाचारी और मंत्री का बयान
वहीं नगर प्रशासन और हज मंत्री रहीम खान ने सदन में स्वीकार किया कि आवारा कुत्तों का मुद्दा गंभीर है, लेकिन इसका समाधान आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि जानवरों के अधिकारों को लेकर दायर याचिकाओं और लगातार बढ़ते दबाव के चलते सरकार बड़े कदम उठाने से हिचक रही है. मंत्री ने यह भी जोड़ा कि इस समस्या से निपटने के लिए कानूनी और मानवीय दोनों पहलुओं को ध्यान में रखना होगा.
भोजेगौड़ा का तीखा तंज
मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भोजेगौड़ा ने तीखा तंज कसा है. उन्होंने कहा कि जो लोग आवारा कुत्तों को हटाने का विरोध करते हैं, उनके घरों में 10-10 कुत्ते छोड़ दिए जाएं. उन्होंने गुस्से में कहा- ‘अगर उनके बच्चों को कुत्ता काट ले तो देखेंगे वे क्या कदम उठाते हैं.’ उनके इस बयान पर सदन में खासी बहस हुई और कई सदस्यों ने इसे अमानवीय करार दिया.
जनता और संगठनों की प्रतिक्रिया
भोजेगौड़ा के बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं. पशु अधिकार संगठनों ने इसे ‘क्रूर और असंवेदनशील’ बताया और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की. वहीं, कुछ लोगों ने उनकी बात का समर्थन करते हुए कहा कि बढ़ती कुत्तों की आबादी पर नियंत्रण ज़रूरी है, वरना आम नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है. इस विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इंसानी सुरक्षा और पशु अधिकारों के बीच संतुलन बनाना संभव है.