Child Heart Attack News : महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के कोडोली गांव से एक बेहद दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने हर किसी को हिला कर रख दिया है. एक 10 साल का बच्चा, जो अपने दोस्तों के साथ खुशी-खुशी गणेश मंडप में खेल रहा था, अचानक दिल का दौरा पड़ने से हमेशा के लिए इस दुनिया से चला गया. यह घटना इतनी तेजी से घटी कि किसी को कुछ समझने का मौका ही नहीं मिला. मृतक की पहचान श्रवण गावड़े के रूप में हुई है, जो अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था.
श्रवण ने मां की गोद में ली आखिरी सांस
स्थानीय पुलिस और चश्मदीदों की मानें तो घटना के समय श्रवण अन्य बच्चों के साथ पंडाल में दौड़-भाग और खेलकूद कर रहा था. खेल के दौरान अचानक उसे बेचैनी सी महसूस हुई. वह थका हुआ महसूस करने लगा और अपनी मां के पास जाकर उनकी गोद में सिर रखकर लेट गया, जैसे कि थोड़ा आराम करना चाहता हो. लेकिन मां को भी यह अंदाजा नहीं था कि बेटे की थकान दरअसल एक गंभीर स्वास्थ्य आपातकाल का संकेत है. कुछ ही मिनटों में, उसकी सांसे थम गईं. जांच में पुष्टि हुई कि उसे दिल का दौरा पड़ा था, जो बेहद कम उम्र में आया और जानलेवा साबित हुआ.
कम उम्र में दिल का दौरा…
श्रवण की मौत केवल एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं, बल्कि भारत में हाल के वर्षों में बढ़ते एक चिंताजनक ट्रेंड का हिस्सा बनती दिख रही है. कम उम्र के बच्चों और किशोरों में हृदयाघात यानी हार्ट अटैक जैसी घटनाएं अब अपवाद नहीं रहीं. ऐसा ही एक मामला बीते साल उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में भी सामने आया था, जहां 14 वर्षीय मोहित चौधरी की स्कूल में खेल प्रतियोगिता की प्रैक्टिस करते हुए मौत हो गई थी. वह अपने दोस्तों के साथ सामान्य रूटीन में दौड़ लगा रहा था, लेकिन अचानक गिर पड़ा और अस्पताल पहुंचते-पहुंचते उसकी सांसें थम चुकी थीं.
बढ़ रही है हार्ट अटैक की घटनाएं
अलीगढ़ जिले में ही कुछ हफ्ते पहले अराना गांव की 20 वर्षीय ममता नाम की युवती की मौत दौड़ने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. बीते 25 दिनों में इसी जिले में तीन और लोगों की इसी प्रकार की अचानक मौतें दर्ज की जा चुकी हैं. ये आंकड़े अब सिर्फ मेडिकल रिपोर्ट का हिस्सा नहीं, बल्कि समाज के लिए गंभीर चेतावनी बन चुके हैं. खासकर तब, जब ये मौतें बिना किसी ज्ञात पुरानी बीमारी के हो रही हैं.
क्या बदलती जीवनशैली जिम्मेदार है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो बच्चों और युवाओं में बढ़ते दिल के दौरे का एक बड़ा कारण बदलती जीवनशैली, मानसिक तनाव, असंतुलित खानपान और मोबाइल या स्क्रीन टाइम का अत्यधिक उपयोग हो सकता है. कई मामलों में देखा गया है कि युवा शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहते, पर्याप्त नींद नहीं लेते और पोषण की कमी के कारण उनका शरीर अचानक किसी गंभीर स्थिति का सामना नहीं कर पाता.
जागरूकता और समय पर चिकित्सा व्यवस्था जरूरी
श्रवण जैसे मासूम की मौत हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने बच्चों के स्वास्थ्य को गंभीरता से ले रहे हैं? क्या स्कूलों में, खेल कार्यक्रमों के दौरान, या सार्वजनिक आयोजनों में पर्याप्त मेडिकल सपोर्ट मौजूद है? और क्या माता-पिता को यह जानकारी है कि बच्चों में भी दिल की बीमारियां हो सकती हैं और उनके शुरुआती लक्षण क्या हो सकते हैं? ये सारे सवाल अब अनदेखी नहीं किए जा सकते.
एक त्रासदी जो चेतावनी भी है
श्रवण गावड़े की मृत्यु केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की क्षति है. वह मासूम अब कभी स्कूल नहीं जाएगा, दोस्तों के साथ खेल नहीं पाएगा और ना ही अपनी मां की गोद में चैन की नींद ले पाएगा. लेकिन शायद उसकी यह असामयिक मौत हमें एक बड़ी सीख दे सकती है कि बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता अब केवल विकल्प नहीं, बल्कि ज़रूरत बन चुकी है.